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जर्जर तिघरा-मराछी तटबंध से मंडराया खतरा, राप्ती नदी के बढ़ते जलस्तर से ग्रामीणों में दहशत, पढ़ें पूरी खबर

मानसून के आते ही देवरिया जनपद के रुद्रपुर क्षेत्र में राप्ती नदी का जलस्तर बढ़ने से तिघरा-मराछी तटबंध की जर्जर स्थिति ने ग्रामीणों के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। 17 किलोमीटर लंबा यह तटबंध अब पूरी तरह से खराब हो चुका है और हर मानसून में इसके टूटने की आशंका रहती है।
Post Published By: Asmita Patel
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जर्जर तिघरा-मराछी तटबंध से मंडराया खतरा, राप्ती नदी के बढ़ते जलस्तर से ग्रामीणों में दहशत, पढ़ें पूरी खबर

Deoria News: मानसून की दस्तक के साथ ही देवरिया जनपद के रुद्रपुर क्षेत्र में राप्ती नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इसके चलते तिघरा-मराछी तटबंध की जर्जर स्थिति ने ग्रामीणों की चिंता और बढ़ा दी है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के अनुसार, 17 किलोमीटर लंबे इस तटबंध के जरिये देवरिया और गोरखपुर जनपद के बीच बहने वाली राप्ती नदी से करीब 52 गांवों की सुरक्षा जुड़ी हुई है। मगर यह तटबंध अब बेहद जर्जर हो चुका है।

जलमग्न हो जाते हैं 52 गांव

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह तटबंध पिछले कई वर्षों से मरम्मत के नाम पर केवल कागजों में ही दुरुस्त किया जा रहा है। हकीकत यह है कि हर मानसून में जलस्तर बढ़ने पर पानी के दबाव से यह तटबंध टूट जाता है और पूरा द्वाबा क्षेत्र जलमग्न हो जाता है। इससे खेत-खलिहान, मवेशी और जनजीवन बुरी तरह प्रभावित होते हैं।

रिपेयरिंग के नाम पर होती है लूट

ग्रामीणों ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि तटबंध की मरम्मत, पिचिंग और सुरक्षा कार्यों के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये का सरकारी बजट आता है, मगर वो अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से गबन हो जाता है। स्थानीय जनप्रतिनिधि भी केवल बाढ़ आने के बाद मौके पर पहुंचते हैं, लेकिन पहले से कोई तैयारी या निगरानी नहीं की जाती।

स्थलीय निरीक्षण में खुली पोल

डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने तिघरा-मराछी तटबंध का स्थलीय निरीक्षण किया और मौके पर मौजूद ग्रामीणों से बात की। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद बाढ़ खंड विभाग के अधिकारी तटबंध की मरम्मत या निगरानी के लिए नहीं आते। गांव के लोगों में भय और आक्रोश है कि अगर इसी तरह प्रशासन ने लापरवाही दिखाई तो इस बार भी बड़ी तबाही मच सकती है।

जलस्तर बढ़ा, लेकिन तैयारी नहीं!

वर्तमान में राप्ती नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है, लेकिन कोई चेतावनी प्रणाली, राहत सामग्री या वैकल्पिक योजना अब तक सामने नहीं आई है। अगर जल्द ही तटबंध की मरम्मत और मज़बूती का कार्य नहीं हुआ तो यह क्षेत्र एक बार फिर विनाश की चपेट में आ सकता है।

जनजीवन पर मंडरा रहा संकट

ग्रामीणों ने प्रशासन और सरकार से मांग की है कि तटबंध को जल्द से जल्द मजबूत किया जाए और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि बाढ़ की स्थिति में प्रभावित लोगों को समय पर मदद मिले।

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