Cough syrup scandal: यूपी में कोडीन बेस्ड दवाओं की अवैध बिक्री और मेडिकल स्टोर्स की मिलीभगत से उठा पर्दा

यूपी में कोडीन बेस्ड दवाओं की अवैध बिक्री और मेडिकल स्टोर्स की मिलीभगत से अब पर्दा उठने लगा है और यूपी एसटीएफ पूरे गोरखधंधे के नेटवर्क की पड़ताल में जुटी हुई है। 

Post Published By: ईशा त्यागी
Updated : 8 December 2025, 3:09 PM IST

New Delhi: यूपी में कोडीन बेस्ड दवाओं की अवैध बिक्री और मेडिकल स्टोर्स की मिलीभगत से अब पर्दा उठने लगा है और यूपी एसटीएफ पूरे गोरखधंधे के नेटवर्क की पड़ताल में जुटी हुई है।

कैसे होती है सिरप की बिक्री?

सबसे पहले दवा मैन्युफेक्चर होती है। उसके बाद वो मार्केटिंग में जाती है। यहां से डिस्ट्रीब्यूटर के पास जाती है, फिर बड़े होल सेलर और छोटे होल सेलर से होते हुए दवा मेडिकल स्टोर तक पहुंचती है।

इसी क्रम में FSDA ने इन दवाओं के गाजियाबाद और लखनऊ गोदाम पर चेकिंग कराई। वहां से पता किया गया कि सिरप की सप्लाई कहां-कहां हुई है? इसमें सीतापुर, बहराइच, लखीमपुर जैसे जिलों में सप्लाई होने की बात सामने आई। इस पर वहां ड्रग इंस्पेक्टर भेजकर जिलों के होल सेलर की जांच कराई गई। परचेज और सेल बिल मांगा गया, तो कई होल सेलर नहीं दे सके। इससे पूरी चेन ब्रेक हो गई।

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जहां लाखों बोतलें बेची गईं और उनकी आगे की सेल पकड़ में नहीं आई। उनके खिलाफ FIR कराई गई। इसकी जब बारीकी से जांच की गई तो पता चला कि ये दवाएं लखीमपुर खीरी और बहराइच होते हुए नेपाल जा रही थीं। इसके बाद कानपुर में अग्रवाल ब्रदर्स के गोडाउन में काफी मात्रा में एक्सपायरी दवाइयां और दवाओं का बड़ा कलेक्शन था। उस पर भी FIR हुई।

वाराणसी में बड़ा कारोबार

कानपुर में कार्रवाई के बाद पता चला कि इसका सबसे बड़ा कारोबार वाराणसी में हो रहा है। जो काम पहले पश्चिमी यूपी में हो रहा था, अब वाराणसी से हो रहा है। यहां ED की टीम शुभम जायसवाल की दुकान पर पहुंची। फौरी तौर पर वहां कोई अनियमितता नहीं मिली। लेकिन, जब दस्तावेजों की जांच की गई तो शुभम के पिता भोला प्रसाद का नाम सामने आया।

भोला प्रसाद पहले से FSDA के रडार पर था। क्योंकि, जब 2020 के बाद STF और FSDA ने कार्रवाई की थी, उस समय एबॉट से रांची की फर्म ने पूरा माल खरीद लिया था। इसको भोला प्रसाद लीड कर रहा था। भोला ने इन दवाओं को अपने ही बेटे शुभम की कंपनी को बेच दिया था।

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कई ड्रग इंस्पेक्टरों पर कसेगा शिकंजा

प्रतिबंधित कोडीनयुक्त कफ सिरप की तस्करी में कई गिरफ्तारी के बाद अब खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग के सहायक आयुक्तों और ड्रग इंस्पेक्टरों पर शिकंजा कसने की तैयारी है। जांच के दौरान कई फर्मों के सिर्फ कागजों पर संचालित होने का खुलासा होने से सहायक आयुक्तों और ड्रग इंस्पेक्टरों की भूमिका संदेह के घेरे में है। कारण लाइसेंस जारी करने से पहले पते का भौतिक सत्यापन करना अनिवार्य होने के बावजूद फर्जीवाड़ा हुआ है। ऐसे में बीते छह वर्षों में बनारस में तैनात रहे दोनों रैंक के अधिकारियों की जांच शुरू हो गई है।

सूत्रों के मुताबिक बनार में वर्ष 2019 से अब तक अलग-अलग अवधि में तीन सहायक आयुक्त और पांच ड्रग इंस्पेक्टर तैनात रहे हैं। इसी अवधि में थोक दवा के 89 लाइसेंस जारी किए गए। कफ सिरप तस्करी के सरगना शुभम जायसवाल के पिता भोला प्रसाद की रांची स्थित फर्म शौली ट्रेडर्स से जिन फर्मों को सप्लाई की गई, उनके लाइसेंस पर दर्ज पते पर कहीं झोपड़ी तो कहीं जनरल स्टोर की दुकान मिली। सूत्रों के मुताबिक बोगस फर्मों को किन सहायक आयुक्त और ड्रग इंस्पेक्टरों की रिपोर्ट पर लाइसेंस जारी किए गए, यह तय कर जल्द कार्रवाई की जाएगी।

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Published : 
  • 8 December 2025, 3:09 PM IST