

चंदौली के चकिया क्षेत्र में चंद्रप्रभा नदी की बाढ़ से घिरे गांवों में फंसे ग्रामीण 50 घंटे से अधिक समय से मदद के इंतजार में हैं। अब तक कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि मौके पर नहीं पहुंचा है। फसलें बर्बाद हो चुकी हैं और लोगों में उबाल है।
प्रशासनिक लापरवाही से त्रस्त ग्रामीण
Chandauli: चंद्रप्रभा नदी में आई भीषण बाढ़ से जिले के भैसही और करेमआ गांव टापू में तब्दील हो गए हैं। चारों ओर पानी से घिरे इन गांवों का संपर्क जिले के अन्य हिस्सों से पूरी तरह कट चुका है। बीते 50 घंटे से ग्रामीण बाढ़ के पानी के बीच फंसे हैं, लेकिन अब तक जिला प्रशासन, तहसील प्रशासन या किसी भी जनप्रतिनिधि ने मौके पर जाकर कोई राहत नहीं पहुंचाई है।
Chandauli Floods: चकिया क्षेत्र में चंद्रप्रभा नदी की बाढ़ से घिरे गांवों में फंसे ग्रामीण 50 घंटे से अधिक समय से मदद के इंतजार में हैं। अब तक कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि मौके पर नहीं पहुंचा है। फसलें बर्बाद हो चुकी हैं और लोगों का गुस्सा अब उबाल पर है।#ChandauliFloods #UPFloods… pic.twitter.com/njd2HSvBtN
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) August 26, 2025
ग्रामीणों ने बताया कि न तो कोई राजस्व कर्मी, न तहसीलदार और न ही SDM अब तक उनके हालचाल लेने पहुंचे हैं। भाजपा विधायक कैलाश खरवार की अनुपस्थिति को लेकर भी लोगों में नाराजगी है। उनका कहना है कि जब नेता वोट मांगने आते हैं, तो हर गली में दिखते हैं, लेकिन जब संकट आता है, तो कोई नहीं आता।
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ग्रामीणों ने बताया कि तीन दिनों से वे अपने घरों में बचे-खुचे अनाज को खाकर गुजारा कर रहे हैं। पीने के पानी, दूध, दवाइयों और चारे जैसी बुनियादी जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं। दर्जनों ग्रामीण ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं, जबकि कई लोग तीन-चार फीट पानी से गुजरकर अपने घरों की निगरानी कर रहे हैं।
भैसही और करेमआ गांव बने टापू
भैसही और करेमआ गांव के अधिकांश ग्रामीण धान और फूलों की खेती पर निर्भर हैं। लेकिन इस बाढ़ ने उनकी सालभर की मेहनत को चंद घंटों में तबाह कर दिया है। खेतों में खड़ी धान की फसलें पूरी तरह डूब गई हैं और फूलों की खेती भी जलमग्न हो गई है। इससे ग्रामीणों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
बाढ़ प्रभावित लोगों ने जिला प्रशासन के राहत कार्यों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि टीवी और अखबारों में बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। किसी तरह की नाव, राहत सामग्री या मेडिकल सहायता अब तक नहीं पहुंची है।
बाढ़ प्रभावित ग्रामीण ने बताया कि, हम तीन दिन से पानी में फंसे हैं। खाने को कुछ नहीं बचा। कोई नेता, अधिकारी नहीं आया। अगर मदद नहीं मिली तो बच्चों को लेकर कहां जाएं?