Bulandshahr Road Accident: दर्दनाक सड़क हादसा, इको कार और ट्रैक्टर ट्रॉली की टक्कर में तीन की मौत,कई घायल

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में शुक्रवार सुबह एक भीषण सड़क हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 31 May 2025, 10:09 AM IST
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बुलंदशहर: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में शुक्रवार सुबह एक भीषण सड़क हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया। हादसा एनएच-34 पर हुआ, जहां तेज रफ्तार इको कार और पाइप से लदी ट्रैक्टर ट्रॉली की आमने-सामने की टक्कर हो गई। इस टक्कर में तीन लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि चार अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, हादसा सिकंदराबाद कोतवाली क्षेत्र के औद्योगिक क्षेत्र में उस समय हुआ, जब ट्रैक्टर ट्रॉली का टायर अचानक फट गया। टायर फटते ही ट्रॉली अनियंत्रित होकर सामने से आ रही इको कार से टकरा गई। टक्कर इतनी भीषण थी कि इको कार चकनाचूर हो गई।

हादसे के बाद आसपास के लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। सिकंदराबाद पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और बचाव कार्य शुरू किया। कार में फंसे शवों को बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला गया और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।

वहीं घायलों को स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। डॉक्टरों की टीम घायलों का इलाज कर रही है। शुरुआती जांच में पता चला है कि ईको कार दादरी से खुर्जा की ओर जा रही थी और इसमें कुल सात लोग सवार थे। सभी लोग एक दूसरे के परिचित बताए जा रहे हैं।

फिलहाल मृतकों की पहचान की जा रही है और उनके परिजनों को सूचना दे दी गई है। पुलिस ने दुर्घटनाग्रस्त ट्रॉली और कार को कब्जे में लेकर मामले की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि प्रथम दृष्टया दुर्घटना का कारण ट्रॉली का टायर फटना और तेज रफ्तार कार का नियंत्रण खोना लग रहा है।

स्थानीय लोगों ने प्रशासन से की मांग

हालांकि पूरी सच्चाई पोस्टमार्टम रिपोर्ट और तकनीकी जांच के बाद ही सामने आएगी। इस सड़क हादसे ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि तेज और लापरवाही से वाहन चलाना कितना जानलेवा साबित हो सकता है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इस इलाके में गति सीमा के सख्त नियम लागू किए जाएं और सड़क सुरक्षा उपायों को और मजबूत किया जाए।

वही अब देखने वाली बात यह है कि आखिर कब तक पीड़ितों की मांग पूरी होती है

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