एटा के जलेसर में जीएसटी कार्रवाई के विरोध में पीतल व्यापारी लामबंद, डीएम को सौंपा ज्ञापन, उद्योग बंद

एटा के जलेसर में जीएसटी कार्रवाई के विरोध में पीतल व्यापारी लामबंद हुए। उत्पीड़न के आरोप लगाकर डीएम को ज्ञापन सौंपा और अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की।

Post Published By: Tanya Chand
Updated : 16 July 2025, 11:50 AM IST
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Etah: एटा जिले की जलेसर तहसील में पीतल उद्योग से जुड़े व्यापारियों और कारीगरों में उस वक्त आक्रोश फैल गया जब जीएसटी विभाग की टीमों ने कई भट्टी संचालकों और व्यापारियों के घरों पर छापेमारी की। व्यापारियों का आरोप है कि विभाग की कार्रवाई के नाम पर उत्पीड़न और सुविधा शुल्क की मांग की जा रही है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इसी के विरोध में पीतल, घुंघरू और घंटी उद्योग से जुड़े सैकड़ों व्यापारी, कारीगर और मजदूर एटा डीएम आवास पहुंचे और जिलाधिकारी प्रेमरंजन सिंह को ज्ञापन सौंपा।

पीतल व्यापारी लामबंद

पीतल व्यापारी लामबंद

विधायक और भाजपा जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में हुआ प्रदर्शन
बता दें कि विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व एटा सदर विधायक विपिन कुमार वर्मा डेविड और भाजपा जिलाध्यक्ष संदीप जैन ने किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जीएसटी की कार्रवाई व्यापारियों को डराने और शोषण करने के उद्देश्य से की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि विभाग के अधिकारी घरों में जबरन घुसकर पूछताछ कर रहे हैं और छोटे कारीगरों पर भी दबाव बना रहे हैं।

व्यापारियों ने की बड़ी मांग
ज्ञापन में व्यापारियों ने मांग की कि जीएसटी की सर्वे और जांच के नाम पर किए जा रहे शोषण को तत्काल रोका जाए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा "एक जनपद एक उत्पाद" (OTOP) योजना के तहत जलेसर को घंटी-घुंघरू निर्माण के लिए चयनित किया गया था, लेकिन अब यह उद्योग ही चौपट होता जा रहा है।

अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पीतल व्यापारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है। जलेसर क्षेत्र में घंटी और घुंघरू निर्माण का काम पूरी तरह बंद कर दिया गया है। व्यापारी और कारीगर अपने कामकाज छोड़कर विरोध में एकजुट हो गए हैं।

जिला मजिस्ट्रेट एटा

जिला मजिस्ट्रेट एटा

डीएम ने व्यापारियों को दी आश्वासन
डीएम प्रेमरंजन सिंह ने व्यापारियों को आश्वासन दिया कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और यदि जीएसटी अधिकारियों द्वारा कोई अनियमितता या उत्पीड़न पाया गया, तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह आंदोलन केवल व्यापारियों का नहीं, बल्कि उन हजारों कारीगरों और मजदूरों की आवाज बन चुका है, जो पीढ़ियों से इस परंपरागत उद्योग से जुड़े हैं। अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो इससे न केवल स्थानीय व्यापार प्रभावित होगा, बल्कि OTOP जैसी योजनाओं पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं।

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