

बाराबंकी जनपद के किसानों के लिए राहत की बड़ी खबर सामने आई है। लंबे समय से खाद की किल्लत झेल रहे किसानों को अब यूरिया और डीएपी की पर्याप्त मात्रा मिलने जा रही है। जिले में आखिरकार चंबल यूरिया की 1534.68 मीट्रिक टन और एनएफएल डीएपी की 1184 मीट्रिक टन की खेप पहुंच चुकी है।
अचानक पहुंची उर्वरक की बड़ी खेप
Barabanki: बाराबंकी जनपद के किसानों के लिए राहत की बड़ी खबर सामने आई है। लंबे समय से खाद की किल्लत झेल रहे किसानों को अब यूरिया और डीएपी की पर्याप्त मात्रा मिलने जा रही है। जिले में आखिरकार चंबल यूरिया की 1534.68 मीट्रिक टन और एनएफएल डीएपी की 1184 मीट्रिक टन की खेप पहुंच चुकी है। जिला कृषि अधिकारी राजित राम ने स्वयं रैक का निरीक्षण कर आपूर्ति की स्थिति का जायजा लिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, डीएओ ने बताया कि इस खेप में से 40 फीसदी स्टॉक पीसीएफ (प्राइमरी को-ऑपरेटिव फेडरेशन) को आवंटित किया गया है। इसके अंतर्गत पीसीएफ को 613.89 मीट्रिक टन यूरिया और 590 मीट्रिक टन डीएपी दिया गया है। पीसीएफ प्रतिनिधि राहुल वर्मा को निर्देश दिए गए हैं कि वह समितियों तक उर्वरक की आपूर्ति सीधे रैक से सुनिश्चित करें ताकि बीच में कोई गड़बड़ी न हो।
इस बीच खाद वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जिला कृषि अधिकारी ने नवाबगंज और रामनगर तहसील क्षेत्र के कुल 14 उर्वरक विक्रय केंद्रों का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान यादव बीज भंडार, न्यू किसान ड्रीम सेंटर त्रिलोकपुर और दीक्षित खाद भंडार रामनगर बंद मिले, जिसके बाद इन तीनों केंद्रों के विक्रय लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।
इफको केंद्र बाराबंकी पर बढ़ती भीड़ को देखते हुए डीएओ ने केंद्र प्रभारी को निर्देशित किया कि तब तक दुकान खुली रखी जाए जब तक हर किसान को खाद मिल न जाए। वहीं, रामनगर की साधन सहकारी समिति में सचिव ललित शर्मा डीएपी का वितरण कर रहे थे, जहां व्यवस्था को संतोषजनक पाया गया।
डीएओ ने सख्त निर्देश दिए कि कोई भी विक्रेता उर्वरक के साथ कोई अन्य उत्पाद न जोड़ें। सभी विक्रेताओं को पीओएस मशीन से ही बिक्री करने, भूमि अभिलेख और फसल के अनुसार खाद देने और रसीद अनिवार्य रूप से देने के आदेश दिए गए हैं। साथ ही, विक्रय विवरण रजिस्टर में अपडेट रखना अनिवार्य किया गया है। उन्होंने चेतावनी दी कि टैगिंग या निर्धारित दर से अधिक कीमत वसूलने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
इस आपूर्ति से जिले के हजारों किसानों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन सवाल यह भी है कि जिन दुकानों पर ताले लगे थे, वहां क्या पहले से कुछ गलत चल रहा था? कृषि विभाग की निगरानी और सख्ती के बाद अब देखना यह है कि आगे यह व्यवस्था कितनी पारदर्शी और स्थायी बन पाती है।
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