

बलरामपुर में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की धूम पूरे जिले में छह दिनों तक देखने को मिली। नगर क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर पूजा पंडाल स्थापित किए गए और श्रद्धालुओं ने बड़े ही श्रद्धाभाव से राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना की। शुक्रवार को शोभायात्रा व विसर्जन जुलूस के साथ उत्सव का समापन हुआ।
Balrampur: बलरामपुर में भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व की धूम पूरे जिले में छह दिनों तक देखने को मिली। नगर क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर पूजा पंडाल स्थापित किए गए और श्रद्धालुओं ने बड़े ही श्रद्धाभाव से राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना की। शुक्रवार को शोभायात्रा व विसर्जन जुलूस के साथ उत्सव का समापन हुआ।
जिले में शुक्रवार को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच भगवान श्रीकृष्ण की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा के दौरान नगर क्षेत्र के प्रमुख मार्गों पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। बड़े-बड़े डीजे पर बज रहे भक्ति गीतों की धुन पर श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया और अबीर-गुलाल उड़ाते हुए जयकारे लगाए। हर गली और चौराहे पर भक्ति रस में डूबे श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था।
शोभायात्रा नगर के मुख्य चौराहों और मार्गों से होती हुई सिसई गांव स्थित राप्ती नदी के घाट तक पहुंची। वहां विधिविधान के साथ पूजा-अर्चना कर राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया। विसर्जन से पूर्व श्रद्धालुओं ने घाट पर पूजा व हवन कर धार्मिक अनुष्ठानों को पूर्ण किया।
नगर के बड़ा पुल चौराहा, झारखंडी मंदिर, पहलवारा, धुसाह, धर्मपुर, भगवतीगंज, सराय फाटक जैसे अनेक स्थानों पर स्थापित पूजा पंडालों में राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं की पूजा-अर्चना के बाद विसर्जन जुलूस निकाला गया। सभी स्थानों पर हवन-पूजन कर धार्मिक विधियों का पालन करते हुए प्रतिमाओं को विदाई दी गई।
शोभायात्रा और विसर्जन कार्यक्रम को देखते हुए पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। राप्ती नदी के सिसई घाट पर जल पुलिस के साथ जिला प्रशासन की टीम भी तैनात रही। सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस के साथ-साथ PAC और होमगार्ड जवानों ने संभाली।
पूरे आयोजन में भक्ति, श्रद्धा और उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिला। महिलाओं, पुरुषों और बच्चों ने पूरे मनोयोग से भाग लिया और भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। भक्तों ने शोभायात्रा को भगवान की लीला का जीवंत चित्रण बताया। बलरामपुर में आयोजित यह भव्य शोभायात्रा श्रद्धा, संस्कृति और सामाजिक समरसता का प्रतीक बनकर पूरे जनपद में चर्चा का विषय रही।