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पंचों ने भी बदलाव की ज़रूरत को समझ कर अपने संकल्प की मोहर लगा दी। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज की पूरी खबर
बहराइच : गांव की गलियों में जब बच्चों ने हाथ धोने का नाटक किया, तो बुजुर्ग भी ठहरकर देखने लगे — यही था स्वच्छता के प्रति जागरूकता का पहला सबक। यह सिलसिला यहीं नहीं थमा। जब पंचायत भवन के डैशबोर्ड पर गांव के सेहत की तस्वीर उकेरी गई, तो पंचों ने भी बदलाव की ज़रूरत को समझ कर अपने संकल्प की मोहर लगा दी। यह सब 'सशक्त गांव – विकसित राष्ट्र' परियोजना का असर था, टाकेदा द्वारा वित्त पोषित इस पहल को ममता हेल्थ इंस्टीट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड ने जिला प्रशासन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साथ मिलकर जिले की 50 ग्राम पंचायतों में लागू किया।
परियोजना का उद्देश्य था — ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण समितियों (वीएचएसएनसी) को सक्रिय और सशक्त बनाकर समुदाय आधारित शासन प्रणाली को मजबूती देना, ताकि गांव खुद अपनी स्वास्थ्य योजनाएं बना सकें और स्वास्थ्य, पोषण व स्वच्छता के परिणामों में सुधार ल सके।
अब गांव खुद बना रहे हैं अपनी स्वास्थ्य योजनाएं
इस पहल के तहत वीएचएसएनसी को सक्रिय कर उन्हें योजनाबद्ध ढंग से स्वास्थ्य से जुड़ी जिम्मेदारियों के लिए तैयार किया गया। शिवपुर, बलहा, मिहीपुरवा, रिसिया और नवाबगंज के चयनित गांवों में वीएचएसएनसी को प्रशिक्षित कर उन्हें रजिस्टर, उपकरण और फंड का बेहतर उपयोग सिखाया गया। इसका असर यह हुआ कि 60 से 70 फीसदी वीएचएसएनसी अब नियमित बैठकें कर रही हैं, जिनमें गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं की देखभाल, बच्चों के टीकाकरण, शौचालय की उपलब्धता, पोषण और स्वच्छता जैसे ज़रूरी मुद्दों पर चर्चा होती है।
पिपरी माफी के प्रधान सजेंश वर्मा बताते हैं, "पहले हमें नहीं पता था कि वीएचएसएनसी फंड का कैसे इस्तेमाल करें। अब हम उससे टीकाकरण के लिए जरूरी सामान और स्वास्थ्य उपकरण जुटा पा रहे हैं।"
ममता संस्था के कार्यक्रम प्रबंधक आदर्श मिश्रा बताते हैं कि नवंबर 2024 से मार्च 2025 के बीच 200 से अधिक मासिक बैठकों और 11 सामूहिक अभियानों — जैसे हैंडवॉशिंग ड्रामा, आयरन युक्त रसोई, स्वास्थ्य शिविर, नुक्कड़ नाटक के ज़रिए स्वास्थ्य, पोषण और स्वच्छता पर संवाद तेज़ी से बढ़ा।
डैशबोर्ड से आई पारदर्शिता और सहभागिता
ग्राम पंचायतों में लगे डैशबोर्ड ने योजना निर्माण को पारदर्शी और सहभागी बनाया है। प्रशिक्षित वीएचएसएनसी सदस्य अब गांव की सेहत से जुड़ा डेटा, योजनाएं और संसाधनों की जानकारी आसानी से समझ लेते हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संजय शर्मा ने इसे शासन के विकेंद्रीकरण की दिशा में अहम कदम बताया और अन्य ब्लॉकों में इसे लागू करने की सिफारिश की।इस मॉडल की राज्य स्तर पर भी सराहना हुई है। लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जहां इसकी उपयोगिता और जमीनी प्रभाव को लेकर चर्चा हुई।