

साहिबाबाद क्षेत्र की “बाबू जगजीवन राम कॉलोनी” के सैकड़ों निवासियों पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है। राजेंद्र नगर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित यह कॉलोनी गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) के ध्वस्तीकरण नोटिस की जद में आ चुकी है।
पीड़ित निवासी
Ghaziabad News: प्राधिकरण ने 15 दिनों के भीतर कॉलोनी को गैरकानूनी निर्माण बताकर हटाने का आदेश दिया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, अब इस आदेश के खिलाफ कॉलोनीवासी न्यायिक लड़ाई की तैयारी कर चुके हैं और कोर्ट की शरण में पहुंचे हैं।
वर्ष 1962 से बसी है कॉलोनी
करीब 2864 वर्गमीटर क्षेत्र में फैली यह कॉलोनी वर्ष 1962 में अस्तित्व में आई थी। शुरुआत में यहां लोग झुग्गी-झोपड़ियां बनाकर रहने लगे थे। वक्त के साथ लोगों ने धीरे-धीरे पक्के मकान बनाए और आज सैकड़ों परिवार यहीं रहते हैं। इन परिवारों में अधिकांश निम्न आयवर्ग के श्रमिक और दिहाड़ी मजदूर हैं, जिनकी रोजी-रोटी इस क्षेत्र में ही है।
जीडीए का नोटिस और कॉलोनीवासियों की बेचैनी
कुछ दिन पहले गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) की टीम कॉलोनी में पहुंची और दीवारों पर 15 दिन के भीतर हटने का नोटिस चस्पा कर दिया। नोटिस में कहा गया कि यह निर्माण अवैध है और तय अवधि के भीतर नहीं हटाया गया तो प्रशासन बलपूर्वक ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करेगा। इसके बाद से ही कॉलोनी में हड़कंप मचा हुआ है। लोग अपने आशियाने बचाने के लिए भागदौड़ कर रहे हैं।
“हमने यहीं जन्म लिया, यहीं पले-बढ़े हैं”
कॉलोनीवासियों का कहना है कि यहां कई पीढ़ियों से लोग रह रहे हैं। उनका कहना है, “हमने इसी कॉलोनी में जन्म लिया, बड़े हुए, यहीं शादियां हुईं। अब अचानक हमारा घर अवैध कैसे हो गया? जीडीए हमें उजाड़ना चाहती है, लेकिन हम कहां जाएंगे?”
पीएम आवास के तहत मिले पैसे और शिलापट्ट, फिर कैसे अवैध?
सबसे अहम बात यह है कि इस कॉलोनी के कई मकानों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास निर्माण के लिए अनुदान राशि दी गई थी। कई मकानों पर प्रधानमंत्री आवास योजना के शिलापट्ट भी लगे हुए हैं, जो दर्शाते हैं कि सरकार ने खुद इन घरों को वैध रूप से स्वीकृति दी थी। ऐसे में GDA की कार्रवाई पर बड़ा सवाल उठ रहा है।
राजनीतिक साजिश की आशंका
कॉलोनीवासियों ने दबी जुबान में एक स्थानीय पार्षद पर आरोप लगाया है कि वह इस कॉलोनी को हटवाकर अपने निजी स्वार्थ के लिए जमीन को खाली कराना चाहता है। लोगों का कहना है कि यह सुनियोजित साजिश है, जिससे जमीन पर कब्जा किया जा सके या किसी प्रोजेक्ट को रास्ता मिल सके।
कोर्ट की शरण में पहुंचे पीड़ित, क्या मिलेगा स्टे?
अब कॉलोनीवासी गाजियाबाद न्यायालय में स्टे लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि अदालत उनकी वर्षों की मेहनत और निवास को देखते हुए न्याय करेगी। हालांकि, इस पर कोर्ट का रुख क्या होता है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा।