

यूपी के लखनऊ से बड़ी खबर सामने आई है, जहां निदेशक होम्योपैथी पर गंभीर आरोप लगे हैं। पूरी खबर के लिए पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
निदेशक होम्योपैथी
लखनऊः उत्तर प्रदेश के लखनऊ जनपद से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है, जहां निदेशक होम्योपैथी पर अनियमितता और शासनादेश विरुद्ध कृत्यों के गंभीर आरोप लगे हैं। बता दें कि एक शिकायतकर्ता ने उच्चा अधिकारियों को पत्र लिखकर जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का अनुरोध किया है।
डाइनामाइटक न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के मुताबिक निदेशक पर लगाए गए आरोपों में दबाव बनाने के लिए लीगल नोटिस भेजना, अपने पुत्र की ज्वाइनिंग नहीं करवाना और शासनादेश विरुद्ध कार्य करना शामिल है। इन आरोपों की जाांच होना आवश्यक है ताकि दोषियों को न्याय के दायरे में लाया जा सके।
शिकायत पत्र
होम्योपैथी ने मांगी माफी
बता दें कि वहीं पतरू विश्वकर्मा ने यह भी कहा कि लखनऊ से एक दैनिक समाचार पत्र में प्रकाशित किया गया था कि मेरे द्वारा इस मामले में माफी मांगी गई है लेकिन मैं दावे के साथ इसका खंडन करते हुए कह रहा हूं कि ऐसी कोई बात नहीं है।
आगे की कार्यवाही
अब देखना यह है कि उच्चाधिकारी इस मामले में क्या कार्यवाही करते हैं और आरोपों की जांच के बाद क्या निर्णय लिया जाता है। शिकायतकर्ता को न्याय मिलने की उम्मीद है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होने की संभावना है।
शिकायतकर्ता ने राष्ट्रपति को भेजा था पत्र
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह मामला काफी पुराना है, जिसमें निदेशक होम्योपैथी के खिलाफ पहले भी आरोप लग चुके हैं। इस दौरान शिकायतकर्ता ने राष्ट्रपति को शिकायत पत्र लिखकर भेजा। बताते चलें कि निदेशक होम्योपैथी के खिलाफ शिकायत कर्ता पतरू राम विश्वकर्मा और आरटीआई एक्टिविस्ट का आरोप है कि निदेशक ने कई होम्योपैथिक डॉक्टरों को निदेशालय से संबद्ध कर रखा है। जबकि अस्पतालों में डॉक्टर नहीं हैं।
उन्होंने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि होम्योपैथी ने नियम विरुद्ध मृतक आश्रितों की नियुक्ति की है। वहीं राज्य के नौ राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में 30 से अधिक संविदा डॉक्टरों की नियुक्ति कर रखी है। जबकि लोक सेवा आयोग से स्थायी डॉक्टरों की नियुक्ति हो चुकी है। होम्योपैथिक पर यह भी आरोप है कि संविदा पर तैनात भाई को झांसी के डीएचओ कार्यालय से संबद्ध कर रखा है।