The MTA Speaks: कौन बनेगा देश का अगला उपराष्ट्रपति, क्या हैं समीकरण? पढ़ें दिलचस्प मुकाबले का पूरा विश्लेषण

उपराष्ट्रपति चुनाव इस समय देश की राजनीति में गहन चर्चा का विषय बना हुआ है। उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 में सीपी राधाकृष्णन और सुदर्शन रेड्डी के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है। कौन बनेगा राज्यसभा का नया सभापति? पढ़ें वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने सटीक विश्लेषण किया।

Post Published By: Deepika Tiwari
Updated : 7 September 2025, 7:42 PM IST
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New Delhi:  भारत का उपराष्ट्रपति चुनाव इस समय देश की राजनीति में गहन चर्चा का विषय बना हुआ है। उपराष्ट्रपति केवल संवैधानिक औपचारिकता का पद नहीं है, बल्कि यह पद राज्यसभा के सभापति के रूप में बेहद अहम भूमिका निभाता है। संसद का ऊपरी सदन यानी राज्यसभा वह जगह है जहां नीतियों, कानूनों और विधायी प्रस्तावों पर गंभीर बहस होती है और अक्सर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने–सामने खड़े दिखते हैं। ऐसे में उपराष्ट्रपति की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है कि वह राज्यसभा की कार्यवाही को निष्पक्ष और सुचारू रूप से चलाएं, सरकार और विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रखें और किसी भी टकराव को नियमों और संविधान की भावना के अनुरूप सुलझाएं। यही कारण है कि हर बार उपराष्ट्रपति चुनाव को सत्ता और विपक्ष के बीच ताकत की असली परीक्षा माना जाता है। इस बार का मुकाबला भी बेहद दिलचस्प और ऐतिहासिक बन गया है क्योंकि इसमें दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से हैं और दोनों अपनी-अपनी पृष्ठभूमि को लेकर राष्ट्रीय राजनीति के विमर्श में विशेष महत्व रखते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार मनोज टिबड़ेवाल आकाश ने अपने चर्चित शो The MTA Speaks में  उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर गहन विश्लेषण किया।

चुनाव में जीतने वाले विजेता का कार्यकाल पूरे 5 वर्ष

यूं तो यह चुनाव अगस्त 2027 में होता लेकिन जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की वजह से यह चुनाव तय समय से दो साल पहले हो रहा है और इस बार के चुनाव में जीतने वाले विजेता का कार्यकाल पूरे 5 वर्ष का होगा। इस बार एनडीए की ओर से उम्मीदवार बनाए गए हैं बीजेपी के वरिष्ठ नेता सीपी राधाकृष्णन। वे तमिलनाडु से आते हैं और पार्टी संगठन में उनका नाम भरोसेमंद और निष्ठावान नेताओं में शुमार किया जाता है। लंबे समय से वे सक्रिय राजनीति में हैं और संगठन की कई जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी नेतृत्व का उन पर गहरा विश्वास है। राधाकृष्णन की उम्मीदवारी से बीजेपी यह भी संदेश देना चाहती है कि वह दक्षिण भारत, खासतौर पर तमिलनाडु में अपनी जड़ें और मजबूत करने की दिशा में गंभीर है। अभी तक बीजेपी को तमिलनाडु में सीमित समर्थन ही मिला है, लेकिन इस चुनाव के जरिए पार्टी अपने आधार को और गहराई तक ले जाने का प्रयास कर रही है।

बी सुदर्शन रेड्डी के बीच दिलचस्प टकराव

वहीं, विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाया है। सुदर्शन रेड्डी आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं और न्यायपालिका में अपनी साफ–सुथरी छवि, ईमानदारी और संवैधानिक मामलों की गहरी समझ के लिए पहचाने जाते हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहकर अपनी गंभीर और निष्पक्ष छवि बनाई। विपक्ष का मानना है कि न्यायपालिका से आने वाले एक वरिष्ठ व्यक्ति को उपराष्ट्रपति पद के लिए उतारकर वे जनता को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस प्रकार यह मुकाबला एक ओर राजनीति के पुराने और जमीनी चेहरे सीपी राधाकृष्णन और दूसरी ओर न्यायपालिका के सशक्त और निष्पक्ष प्रतिनिधि बी सुदर्शन रेड्डी के बीच दिलचस्प टकराव के रूप में देखा जा रहा है।

चुनाव 9 सितंबर 2025, मंगलवार को होगा

अब हम आपको कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े, तारीख और समय बतायेंगे जो आपके लिए जानना जरुरी है।उपराष्ट्रपति पद का यह चुनाव 9 सितंबर 2025, मंगलवार को होगा। मतदान सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगा और उसी दिन शाम 6 बजे गिनती शुरू होगी। परिणाम उसी रात 7 बजे तक घोषित हो जाएंगे। चुनाव आयोग ने पूरी प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाने के लिए आवश्यक तैयारियां कर ली हैं।

कुल 788 सदस्यों का निर्वाचन मंडल

अब जरा देखते हैं कि इस चुनाव का स्वरूप कैसा है। उपराष्ट्रपति चुनाव का निर्वाचन मंडल केवल संसद के सदस्यों से बनता है। इसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य वोट डालते हैं। इस समय लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सदस्य हैं, जिनमें से एक सीट रिक्त है। राज्यसभा में 233 निर्वाचित सदस्य और 12 नामित सदस्य होते हैं, लेकिन फिलहाल 5 सीटें खाली हैं। इस प्रकार कुल 788 सदस्यों का निर्वाचन मंडल होता है, हालांकि वर्तमान में 782 सदस्य ही मतदान प्रक्रिया का हिस्सा बनेंगे। मतदान गुप्त मतपत्र से होता है और इसमें सिंगल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली लागू होती है। इसका मतलब यह हुआ कि सांसदों को अपनी पसंद का क्रम देना होता है और यदि कोई उम्मीदवार पहले चरण में बहुमत नहीं ला पाता तो वोटों का ट्रांसफर होता है। विजयी उम्मीदवार बनने के लिए कुल वैध मतों के पचास प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करना जरूरी होता है।

उपराष्ट्रपति चुनाव का इतिहास

इतिहास पर नजर डालें तो पिछली बार 2022 में जब उपराष्ट्रपति चुनाव हुआ था तो उस समय कुल 780 वोटों में से 725 वोट पड़े थे। इसमें से 710 वैध वोट रहे और 15 वोट अवैध घोषित किए गए। मतदान प्रतिशत 92.94 प्रतिशत रहा। उस चुनाव में एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले थे जबकि विपक्ष की प्रत्याशी मार्गरेट अल्वा को 182 वोट ही हासिल हो पाए। इस प्रकार धनखड़ 346 वोटों के बड़े अंतर से विजयी हुए थे।
उससे पहले 2017 का चुनाव और भी रोचक रहा था। तब कुल 785 वोटों में से 771 वोट पड़े, जिनमें से 760 वैध रहे और 11 वोट अवैध घोषित हुए। मतदान प्रतिशत 98.21 प्रतिशत दर्ज किया गया। उस चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार एम. वेंकैया नायडू को 516 वोट मिले थे, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार गोपालकृष्ण गांधी को 244 वोट मिले। इस प्रकार नायडू ने 272 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। यह आंकड़े बताते हैं कि उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान प्रतिशत हमेशा बहुत ऊंचा रहता है और अधिकांश सांसद अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।

 लोकसभा में एनडीए का भारी बहुमत

जहां तक मौजूदा समीकरणों का सवाल है, लोकसभा में एनडीए का भारी बहुमत है। राज्यसभा में विपक्ष की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है, लेकिन कई क्षेत्रीय दल जैसे बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और कुछ अन्य छोटे दलों का झुकाव एनडीए की ओर बताया जा रहा है। यही वजह है कि राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि सीपी राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। हालांकि विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक भी इस बार एकजुट होकर मैदान में उतरा है और पिछले दो बार की तुलना में कहीं अधिक मजबूत दिखाई दे रहा है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, डीएमके, समाजवादी पार्टी, राजद, लेफ्ट पार्टियां और अन्य दलों ने सुदर्शन रेड्डी के समर्थन में खुलकर प्रचार किया है।

दक्षिण भारत से उम्मीदवार उतारकर यह  दिया संकेत

इस बार के चुनाव की एक और बड़ी विशेषता यह है कि दोनों उम्मीदवार दक्षिण भारत से हैं। सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से और बी सुदर्शन रेड्डी आंध्र प्रदेश से आते हैं। इस वजह से दक्षिण भारतीय राजनीति अचानक राष्ट्रीय विमर्श के केंद्र में आ गई है। विपक्ष का कहना है कि एनडीए का बढ़ता दबदबा चुनौती देने के लिए एक ऐसा चेहरा जरूरी था जो क्षेत्रीय संतुलन के साथ-साथ नैतिक और संवैधानिक मूल्यों का भी प्रतिनिधित्व कर सके। वहीं, बीजेपी ने भी रणनीतिक रूप से दक्षिण भारत से उम्मीदवार उतारकर यह संकेत दिया है कि उसका ध्यान अब केवल हिंदी पट्टी पर ही नहीं बल्कि पूरे देश पर है।

सांसदों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित

चुनाव से पहले बीजेपी ने अपने सांसदों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की। इसमें मतदान की प्रक्रिया और गुप्त मतदान के तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी गई। एनडीए नेतृत्व ने अपने सांसदों को यह स्पष्ट संदेश दिया कि किसी भी प्रकार की लापरवाही विपक्ष को फायदा पहुंचा सकती है, इसलिए हर सांसद को मतदान प्रक्रिया में सतर्कता बरतनी होगी। विपक्ष ने भी अपने स्तर पर सांसदों को एकजुट रखने के लिए लगातार बैठकें कीं।
भारत का उपराष्ट्रपति केवल राज्यसभा का सभापति ही नहीं होता, बल्कि संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति के बाद दूसरा सबसे ऊंचा पद भी है और राजनीतिक रूप से भी इसकी अपनी एक विशेष पहचान है। सामान्य तौर पर जो आंकड़े दिखायी दि रहे हैं उसमें सत्तारुढ़ एनडीए के पास लोकसभा में 293, राज्यसभा में 106 और राज्यसभा के नामित सदस्य 12 इन तीनों को मिलाकर देखें तो यह संख्या 414 होती है, इस तरह उम्मीद की जा रही है कि आंकड़ों के लिहाज से सत्तारुढ़ NDA की जीत आसानी से हो जायेगी लेकिन इतना तो तय है कि हाल की विपक्षी दलों की एकजुटता के चलते 2022 और 2017 की तुलना में हार-जीत का अंतर कम रहेगा।

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