New Delhi: आज की लड़ाइयां सिर्फ बंदूकों और मिसाइलों तक सीमित नहीं रह गई हैं। अब जंग के मैदान में एक नया और अदृश्य हथियार उतर चुका है, जो है माइक्रो ड्रोन। ये इतने छोटे होते हैं कि आपकी हथेली पर आसानी से आ सकते हैं, लेकिन इनकी ताकत और तकनीक बड़े हथियारों को चुनौती देने में सक्षम है।
माइक्रो ड्रोन क्या है?
माइक्रो ड्रोन एक छोटा Unmanned Aerial Vehicle (UAV) है, यानी बिना पायलट वाला हवाई यान। इनका वजन कुछ सौ ग्राम से लेकर लगभग दो किलोग्राम तक होता है। इनमें हाई-टेक कैमरे, सेंसर और छोटे मोटर्स लगे होते हैं। इसकी मदद से ये ऊँचाई पर उड़कर निगरानी कर सकते हैं, फोटो और वीडियो रिकॉर्ड कर सकते हैं और दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं।
जासूसी और निगरानी
माइक्रो ड्रोन को विशेष रूप से रिकॉनिसेंस (जासूसी), सर्विलांस (निगरानी) और इंटेलिजेंस (सूचना एकत्रीकरण) मिशनों के लिए तैयार किया जाता है। ये दुश्मन के इलाके में चुपचाप घुसकर उसकी पोज़िशन, मूवमेंट और डिफेंस सिस्टम की जानकारी जुटाते हैं।
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सैकड़ों ड्रोन एक साथ मिशन पर
जब कई माइक्रो ड्रोन एक साथ मिशन पर उड़ते हैं, तो इन्हें Swarm Drones कहा जाता है। ये मिलकर दुश्मन पर हमला कर सकते हैं या इलाके की हर छोटी-बड़ी जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं। उनका छोटा आकार उन्हें रडार और पारंपरिक डिफेंस सिस्टम से लगभग अदृश्य बना देता है।
बढ़ती सैन्य भूमिका
अमेरिका, रूस, चीन, तुर्की, ईरान और इज़राइल जैसे लगभग सभी बड़े देश अब अपने सैन्य सिस्टम में माइक्रो ड्रोन को शामिल कर चुके हैं। पहले इनका इस्तेमाल केवल निगरानी के लिए होता था, लेकिन अब ये हमलों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हाल ही में रूस ने यूक्रेन में ड्रोन अटैक कर बिजली ग्रिड को निशाना बनाया, जिससे पूरे इलाके में अंधेरा फैल गया। ऐसे हमलों को “Death Swarms” कहा जाता है क्योंकि इन्हें रोकना लगभग असंभव है।
AI और नेटवर्क के ज़रिए नियंत्रित
Swarm Drones पूरी तरह Artificial Intelligence (AI) और कंप्यूटर नेटवर्क से नियंत्रित होते हैं। हर ड्रोन एक-दूसरे से जुड़ा होता है, जिससे पूरा झुंड एक जीवित प्रणाली की तरह काम करता है। मिशन की योजना तैयार होने के बाद सभी ड्रोन एक साथ उड़ान भरते हैं। सेंसर और कैमरों की मदद से ये टारगेट की पहचान करते हैं और ज़रूरत पड़ने पर हमला या जानकारी ट्रांसमिट करते हैं।
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मिशन जारी रहते हैं, ड्रोन नष्ट होने पर भी
अगर किसी मिशन में एक ड्रोन नष्ट हो जाए, तो बाकी ड्रोन स्वचालित रूप से मिशन जारी रखते हैं। यह तकनीक युद्ध की दिशा और रणनीति को पूरी तरह बदल रही है। आने वाले समय में माइक्रो और स्वॉर्म ड्रोन न केवल लड़ाई के तरीके बदलेंगे, बल्कि युद्ध की तीव्रता और गति को भी बढ़ाएंगे।

