

लेजर हथियार आधुनिक युद्धों की दिशा बदल रहे हैं। ये बिना बारूद के दुश्मन को पलक झपकते खत्म कर सकते हैं। जानिए कैसे भारत और विश्व की महाशक्तियां इस तकनीक को अपना रही हैं।
लेजर हथियार (सोर्स-गूगल)
New Delhi: आज के दौर में युद्ध का स्वरूप तेज़ी से बदल रहा है। जहाँ पहले टैंक, बंदूकें और मिसाइलें निर्णायक होती थीं, वहीं अब विज्ञान की नई खोजें युद्ध को डिजिटल और अदृश्य बना रही हैं। ऐसी ही एक अत्याधुनिक तकनीक है लेज़र हथियार, जो आने वाले समय में पूरी दुनिया के सैन्य परिदृश्य को बदल सकते हैं।
लेज़र का पूरा नाम "लाइट एम्प्लीफिकेशन बाय स्टिम्युलेटेड एमिशन ऑफ़ रेडिएशन" है। यह एक केंद्रित प्रकाश किरण है जो पलक झपकते ही किसी भी लक्ष्य को नष्ट कर सकती है। लेज़र हथियारों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये बेहद तेज़, सटीक और बार-बार इस्तेमाल किए जा सकने वाले होते हैं। इन्हें चलाने के लिए बारूद या मिसाइलों की ज़रूरत नहीं होती, सिर्फ़ ऊर्जा (बिजली) की ज़रूरत होती है।
दुनिया की बड़ी शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा
अमेरिका, चीन, रूस, इज़राइल जैसे देश पहले ही अपनी रक्षा प्रणाली में लेज़र तकनीक को शामिल कर चुके हैं। अमेरिकी नौसेना ने अपने युद्धपोतों पर लेज़र सिस्टम LaWS (लेज़र वेपन सिस्टम) तैनात किया है, जो हवा में ड्रोन और छोटी नावों को नष्ट कर सकता है। वहीं, इज़राइल ने हाल ही में "आयरन बीम" नामक एक लेज़र प्रणाली का सफल परीक्षण किया है, जो आयरन डोम से भी तेज़ और सटीक है।
भारत की बड़ी छलांग
भारत भी अब इस क्षेत्र में पीछे नहीं है। DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) द्वारा विकसित की जा रही "DIR-VIEW" और "ADITYA" जैसी स्वदेशी प्रणालियाँ भारत को तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बना रही हैं। ये प्रणालियाँ दुश्मन के ड्रोन, मिसाइलों और विमानों को हवा में ही मार गिराने की क्षमता रखती हैं। आने वाले वर्षों में इन्हें भारतीय सेना की मुख्यधारा में शामिल किया जा सकता है।
लेज़र हथियारों का ख़तरनाक पहलू
लेज़र हथियारों की सबसे ख़तरनाक बात उनकी खामोश और सटीक मारक क्षमता है। ये न तो फटते हैं और न ही धुआँ छोड़ते हैं। ऐसे में दुश्मन को तब तक पता नहीं चलता जब तक नुकसान न हो जाए। साथ ही, ये प्रकाश की गति (लगभग 3 लाख किलोमीटर/सेकंड) से चलते हैं, जिससे प्रतिक्रिया समय लगभग शून्य हो जाता है।
भविष्य के युद्ध और बढ़ते ख़तरे
अगर भविष्य में यह तकनीक आम हो जाती है, तो युद्धों की गति और विध्वंसक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। हाइपरसोनिक मिसाइलों को उड़ान में रोका जा सकता है, अंतरिक्ष में उपग्रहों को नष्ट किया जा सकता है और दुश्मन की पूरी ड्रोन सेना को कुछ ही सेकंड में राख में बदला जा सकता है।