सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघ बाघिन की संख्या बढ़ने से वाइल्ड लाइफ लवर उत्साहित

डीएन ब्यूरो

राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघ-बाघिन की संख्या बढ़ने वन्यजीव प्रेमी उत्साहित हैं। सरिस्का टाइगर रिजर्व से 2005 में एक तरह से बाघ लुप्त हो गए थे। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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जयपुर: राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघ-बाघिन की संख्या बढ़ने वन्यजीव प्रेमी उत्साहित हैं। सरिस्का टाइगर रिजर्व से 2005 में एक तरह से बाघ लुप्त हो गए थे।

सरिस्का दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला अरावली पहाड़ियों के 1213.34 वर्ग किलोमीटर में फैले बाघों के आवास का प्रतिनिधित्व करता है।

सरिस्का में दो नए शावकों के आने की कुछ दिन पहले कैमरा ट्रैप के माध्यम से पुष्टि की गई थी, जिसके बाद अधिकारियों ने कहा कि शावकों सहित बाघ बाघिनों की संख्या 25 से बढ़कर 27 हो गई है।

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सरिस्का के क्षेत्रीय निदेशक नारायण मीणा ने पीटीआई-भाषा को बताया कि “सरिस्का में अब कुल 27 बाघ-बाघिन हैं, इसमें 13 मादा, आठ नर और छह शावक शामिल हैं।’’

उन्होंने बताया कि सोमवार को कैमरा ट्रैप में देखने पर दो नवजात शावक देखे गए हैं जिनकी उम्र करीब दो माह है। यह सरिस्का टाइगर रिजर्व के अकबरपुर रेंज के अंतर्गत डाबली सुकोला वन क्षेत्र में बाघिन एसटी-14 की आवाजाही क्षेत्र में थी।

उन्होंने बताया कि ''प्रथम दृष्टया बाघिन एसटी-14 और दोनों नवजात शावकों का मूवमेंट सामान्य पाया गया है।''

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मीणा ने बताया कि बाघिन एसटी-14 और उसके दोनों नवजात शावकों की निगरानी बढ़ाने के निर्देश अधिकारियों और संबंधित बाघ निगरानी दल को दिये गये हैं।

अधिकारी ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि पिछले दो वर्षों में डाबली गांव और सुकोला गांव के आधे हिस्से को पूरी तरह स्थानांतरित करने पर बाघिन ने उसी क्षेत्र में शावकों को जन्म दिया है। इससे पहले उसने नवंबर-दिसंबर 2020 में तीन शावकों को जन्म दिया था। उसी इलाके में जन्म देकर बाघिन ने अपना स्थायी और सुरक्षित क्षेत्र साबित कर दिया है।

सरिस्का टाइगर फाउंडेशन के संस्थापक सचिव दिनेश वर्मा दुरानी ने बताया कि सरिस्का में बाघों की बढ़ती आबादी बेहद खुशी का विषय है।










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