ऑस्ट्रेलिया में जंगल में भीषण आग की वजह से ला नीना की दुर्लभ स्थिति बनी: शोधकर्ता
शोधकर्ताओं ने पाया है कि 2019-2020 में ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी भीषण आग के परिणामस्वरूप उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में लगातार वर्षों तक ला नीना की दुर्लभ स्थिति उत्पन्न हुई।
नई दिल्ली: शोधकर्ताओं ने पाया है कि 2019-2020 में ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी भीषण आग के परिणामस्वरूप उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र में लगातार वर्षों तक ला नीना की दुर्लभ स्थिति उत्पन्न हुई।
नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च (एनसीएआर), अमेरिका के नेतृत्व में किया गया यह अध्ययन शोध पत्रिका ‘साइंस एडवांसेज’ में प्रकाशित हुआ है। ला नीना के उभरने का पूर्वानुमान अक्सर महीनों पहले लगाया जा सकता है। ला नीना में समुद्र की सतह का तापमान बहुत कम हो जाता है।
अध्ययन के प्रमुख लेखक एनसीएआर के वैज्ञानिक जॉन फासुल्लो ने कहा, ‘‘बहुत से लोग ऑस्ट्रेलिया में लगी भीषण आग के बारे में जल्दी भूल गए, खासकर जब कोविड महामारी फैल गई, लेकिन आग के प्रभाव वर्षों तक बने रहते हैं।’’
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अध्ययन के अनुसार यह असामान्य बात नहीं है, लेकिन लगातार तीन सर्दियों के लिए ला नीना की स्थिति दुर्लभ है। ला नीना का हालिया दौर 2020-21 की सर्दियों में शुरू हुआ और पिछली सर्दियों तक जारी रहा।
ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में भीषण आग के मद्देनजर फासुल्लो और अध्ययन में शामिल सह-लेखकों ने विश्लेषण किया कि परिणामी उत्सर्जन पर जलवायु का क्या प्रभाव पड़ सकता है। शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि जंगलों की आग से निकले उत्सर्जन ने जल्द ही दक्षिणी गोलार्ध को घेर लिया, जिससे जलवायु परिघटनाएं शुरू हुईं।
शोधकर्ताओं की टीम के मुताबिक दक्षिणी गोलार्ध में और विशेष रूप से पेरू के तट पर घने बादल बने जिससे इस क्षेत्र में हवा ठंडी और शुष्क हो गई। आखिरकार ये हवाएं उस क्षेत्र में पहुंची जहां उत्तरी और दक्षिणी व्यापारिक हवाएं एक साथ आती हैं।
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