चिकित्सकीय लापरवाही को लेकर कब होंगे दिशा-निर्देश जारी, पढ़ें पूरा अपडेट

डीएन ब्यूरो

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों के निर्धारण के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की लंबे समय से जारी मांग पर विचार किया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय


नयी दिल्ली: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों के निर्धारण के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने की स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की लंबे समय से जारी मांग पर विचार किया है। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गयी जानकारी में यह बात सामने आई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने  सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत दायर एक आवेदन के जवाब में कहा कि हालांकि, चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों के निर्धारण के लिए फिलहाल कोई दिशा-निर्देश नहीं है, लेकिन यह मामला विचाराधीन है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय के चिकित्सा शिक्षा नीति अनुभाग में अवर सचिव सुनील कुमार गुप्ता ने कहा, ‘‘इस संबंध में अब तक कोई दिशा-निर्देश तैयार नहीं किए गए हैं। यह मामला विचाराधीन है।’’

यह भी पढ़ें | Delhi Flood: दिल्ली में बाढ़ पर सियासत तेज, भाजपा ने आप पर लगाये ये गंभीर आरोप, जानिये क्या कहा

केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी का पद भी संभालने वाले सुनील कुमार गुप्ता ने पीटीआई-भाषा को दिए लिखित जवाब में यह जानकारी दी।

पीटीआई-भाषा ने उनसे पूछा था कि ‘‘क्या केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश में चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों का निर्धारण करने के लिए कोई दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। ’’

उच्चतम न्यायालय ने 2005 में जैकब मैथ्यू मामले में पहली बार चिकित्सकीय लापरवाही के मामलों से निपटने के लिए तत्कालीन चिकित्सा शिक्षा नियामक भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआई) के परामर्श से केंद्र को वैधानिक नियम बनाने का निर्देश दिया था, क्योंकि यह चिकित्सकों और रोगियों दोनों को प्रभावित करता है।

यह भी पढ़ें | न्यायालय ने इंटरनेट पर पाबंदी के संबंध में दिशानिर्देश लागू करने से जुड़ी याचिका की खारिज

जहां एक ओर रोगियों को दोषी चिकित्सकों के खिलाफ न्याय पाने के लिए दर-दर भटकना पड़ता है, वहीं ओछे आरोप और दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई चिकित्सकों को परेशान करती है।

कानूनी और चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, एक उचित वैधानिक ढांचा न केवल रोगियों के हितों की रक्षा करेगा बल्कि चिकित्सकों के खिलाफ हिंसा के मामलों पर भी अंकुश लगाएगा।










संबंधित समाचार