

प्रदोष व्रत की तिथि को लेकर सभी उलझन में है कि यह व्रत कब मनाया जाएगा। यदि आप भी नहीं जानते हैं तो पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्लीः एकादशी की तरह प्रदोष व्रत भी हर महीने दो बार आता हैं, एक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी पर और दूसरा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी पर। इस तरह साल में कुल 24 प्रदोष व्रत होते हैं।
अप्रैल माह में जो प्रदोष व्रत आने वाला है, वह चैत्र माह के शुक्ल पक्ष का है और यह दिन महादेव और देवी पार्वती को समर्पित है। इस दिन महादेव की पूजा करने से जीवन में सब अच्छा होता है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
कब है प्रदोष व्रत
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता को मिली जानकारी के मुताबिक पंचागं के अनुसार, इस वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 10 अप्रैल को पड़ रहा है। इस व्रत का आरंभ 9 अप्रैल की रात 10 बजकर 55 मिनट से हो जाएगा और अगले दिन यानी 10 अप्रैल को रात 1 बजे में समाप्त हो जाएगा। ऐसे में 10 तारीख को प्रदोष व्रत किया जाएगा।
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
1. प्रदोष व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 10 अप्रैल की शाम 6 बजकर 44 मिनट से लेकर 8 बजकर 59 मिनट तक है।
2. वहीं, ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 4 बजकर 31 मिनट से लेकर 05 बजकर 16 मिनट तक है।
3. गोधूलि मुहूर्त शाम 6 बजकर 34 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 5 मिनट तक है।
4. निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 59 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 45 मिनट तक है।
5. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 57 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक है।
प्रदोष व्रत की पूजा सामग्री
प्रदोष व्रत करने के लिए आपको दूध, पवित्र जल, गंगाजल, अक्षत, कनेर के फूल, कलावा, भांग, शिव चालीसा, आसन, शं, शहद, सफेद मिठाई, फल, बेल पत्र, धूप, दीप, धतूरा, रोली व अन्य चीजें।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
1. इस दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और सूर्य देव को जल अर्पित करें।
2. इसके बाद भगवान शिव को पंचामृत से अभिषेक कराएं और उन्हें फूल, बेल पत्र आदि चढ़ाएं।
3. फिर धूप व दीप जालकर आरती करना शुरू कर दीजिए।
4. आरती के बाद भगवान शिव को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
5. पूजा के बाद सबको प्रसाद बाटें और बड़ों का आशीर्वाद लें।
6. इस दिन आप अन्न व धन किसी भी चीज का गरीबों में दान करें, क्योंकि यह लाभकारी हो सकता है।