ईयू के कॉर्बन कर का भारत के निर्यात पर क्या असर पड़ेगा, अंतर-मंत्रालयी समूह कर रहा गौर
अंतर मंत्रालयी समूह यूरोपीय संघ (ईयू) के इस्पात और एल्यूमीनियम जैसे कुछ उत्पादों पर कार्बन कर लगाने के फैसले पर गौर कर रहा है। इस निर्णय का देश का इन उद्योगों से होने वाले निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: अंतर मंत्रालयी समूह यूरोपीय संघ (ईयू) के इस्पात और एल्यूमीनियम जैसे कुछ उत्पादों पर कार्बन कर लगाने के फैसले पर गौर कर रहा है। इस निर्णय का देश का इन उद्योगों से होने वाले निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि सात जिंसों पर यूरोपीय संघ ने कार्बन शुल्क लगाया है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि भारत के मामले में केवल दो क्षेत्र इस्पात और एल्यूमीनियम पर ही नई कर व्यवस्था का असर पड़ेगा। बाकी क्षेत्रों पर असर बहुत कम होगा। इसका कारण भारत इन जिंसों का निर्यात यूरोपीय संघ को नहीं करता है।
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सारंगी ने कहा, ‘‘लेकिन इसका कुछ हद तक असर जरूर होगा। किस हद तक इसे कम किया जा सकता है, किस सीमा तक हमारे उद्योग इससे निपट सकते हैं... ये सभी ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर अंतर-मंत्रालयी समूह विचार कर रहा है।’’
उन्होंने कहा कि वाणिज्य सचिव और कई अन्य विभागों के सचिव उन तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं जिनसे इससे निपटा जा सकता है।
सारंगी ने कहा कि इस निर्णय का भारत पर पड़ने वाले मौद्रिक प्रभाव के बारे में अभी आकलन किया जाना है।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, यूरोपीय संघ कार्बन सीमा समायोजन प्रणाली (सीबीएएम) एक अक्टूबर से अमल में ला रहा है। इस व्यवस्था के तहत एक जनवरी, 2026 से ईयू में चुनिंदा वस्तुओं के आयात पर 20 से 35 प्रतिशत कर लगेगा।