DN EXCLUSIVE: यूपी एटीएस में ये क्या हो रहा है.. भ्रष्टाचार, कदाचार और अय्याशी?

डीएन ब्यूरो

यूं तो उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) का गठन इसलिए किया गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले तत्वों पर लगाम कसी जा सके लेकिन राज्य में इसके ठीक उलट हो रहा है। एएसपी राजेश साहनी की मौत के बाद एटीएस के अंदरुनी कार्यप्रणाली की परत एक-एक कर उधड़ रही है। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..

वरिष्ठ अफसरों के साथ बैठक करते डीजीपी
वरिष्ठ अफसरों के साथ बैठक करते डीजीपी


नई दिल्ली: आपने यह मुहावरा जरुर सुना होगा कि ‘एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है’ कुछ ऐसा ही इन दिनों देखने को मिल रहा है उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) के लखनऊ हेडक्वार्टर में। 

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बीते 29 मई को एटीएस के एएसपी राजेश साहनी ने कथित तौर पर भ्रष्टाचार और उत्पीड़न से तंग आकर अपने आप को गोली से उड़ा लिया था। अभी इस मामले की सीबीआई ने जांच प्रारंभ भी नही की है कि एटीएस कदाचार और अय्याशी के एक और मामले को लेकर सुर्खियों में आ गया है। 

 

एटीएस का लखनऊ स्थित हेडक्वार्टर

 

डाइनामाइट न्यूज़ की इन्वेस्टिगेटिव टीम को मिली जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साप्ताहिक समीक्षा बैठक UP 100 भवन में रखी थी। इस दौरान डीजीपी मातहतों को बेहतर कार्य की घुट्टी पिला रहे थे तभी उनके मुंह से जो कुछ निकला उसे सुनकर मीटिंग में मौजूद हर कोई हक्का-बक्का रह गया। 

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बैठक में मौजूद एक अधिकारी ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि.. डीजीपी ने गुस्से में लाल-पीले होते हुए कहा कि कहा ये सब क्या चल रहा है? उनको एक व्यक्ति ने शिकायत की है कि उसकी पत्नी के पीछे एटीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी पड़े हुए हैं और उसकी पत्नी के फोन को सुना जा रहा है। डीजीपी यही नहीं रुके उन्होंने यहां तक कहा कि जब इसकी जांच करायी गयी तो यह शिकायत सही पायी गयी। 

अफसरों से भरे सभागार में डीजीपी के मुंह से अचानक निकले इन शब्दों ने एटीएस की कलई खोल कर रख दी। अब बड़ा सवाल यह है कि जांच में शिकायत सही पाये जाने के बावजूद भी एटीएस के उस अफसर पर अब तक क्यों कोई कार्यवाही नही की गयी? एटीएस में मची इस अंधेरगर्दी के लिए कौन जिम्मेदार है? वह कौन अफसर है जो शादी-शुदा महिला पर डोरे डाल रहा है?

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एटीएस ऐसी संस्था हैं जिसमें उत्कृष्ट कार्य करने वालों को छांटकर तैनात किया जाता है, यहां कोई राजनीतिक दबाव भी तैनातियों में नही होता तो फिर कौन और क्यों भ्रष्ट और अय्याश अफसरों को तैनात कर रहा है और मामला खुलने के बाद भी सब अंजान बनने का नाटक कर रहे हैं।

अब देखना दिलचस्प होगा कि डीजीपी ओपी सिंह की जांच में शिकायत सही पाये जाने के बाद भी एटीएस के उस वरिष्ठ अफसर के खिलाफ कोई कार्यवाही होती है या नही?

 










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