उत्तराखंड सरकार ने कैट के आदेश को दी चुनौती, याचिका दायर, जानिये वन विभाग से जुड़े ये मामला

उत्तराखंड सरकार ने वन विभाग के अपदस्थ विभागाध्यक्ष राजीव भरतरी को फिर से पद पर बहाल करने के केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के आदेश को चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 17 March 2023, 6:16 PM IST
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ऋषिकेश: उत्तराखंड सरकार ने वन विभाग के अपदस्थ विभागाध्यक्ष राजीव भरतरी को फिर से पद पर बहाल करने के केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के आदेश को चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कैट में दाखिल की गयी पुनर्विचार याचिका में राज्य सरकार ने भरतरी को पद पर पुन:बहाल करने के न्यायाधिकरण से आदेश पर कई गंभीर प्रकृति की कानूनी आपत्तियाँ उठाई हैं और उनका निराकरण करने का अनुरोध किया है।

इससे पहले, बृहस्पतिवार को केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण सचिव की ओर से उत्तराखंड सरकार के मुख्य सचिव सुखबीर सिंह संधु को पत्र लिख कर राजीव भरतरी की विभागाध्यक्ष पद पर पुन:बहाली के कैट के आदेश पर उचित कार्रवाई करने तथा उससे मंत्रालय को भी अवगत कराने को कहा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार कैट ने 24 फरवरी के अपने आदेश में राज्य सरकार को भरतरी को व​न विभाग के प्रमुख के पद पर पुन:बहाल करने के आदेश दिए थे।

हालांकि, इसी बीच राज्य सरकार ने भरतरी को पद से हटाने की अपनी कार्रवाई को उचित ठहराते हुए उन्हें 10 मार्च को आरोप पत्र दे दिया जिसका जवाब देने के लिए उन्हें 15 दिन का समय दिया गया है। यह समयावधि पूरी होने में अभी समय शेष है।

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और वृक्षों के अवैध कटान के मामले में भरतरी के खिलाफ जारी आरोप पत्र में उन्हें गलत आचरण, वन विभाग के मुखिया के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारियों को निभाने में लापरवाही बरतने, प्रशासनिक आदेशों तथा भारतीय सेवा आचरण नियमावली की अवहेलना का दोषी बताया गया है।

कॉर्बेट के बफर क्षेत्र की पाखरो और मोरघटटी वन प्रभागों में अवैध निर्माण तथा वृक्षों के अवैध पातन के आरोपों के बीच नवंबर 2021 में राज्य के शीर्ष वन अधिकारियों की जिम्मेदारियों में की गयी बड़ी फेरबदल के दौरान भरतरी को वन विभाग के प्रमुख के पद से हटा दिया गया था।

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