Uttar Pradesh: बुरी नजर से बचने वालों का मददगार बना यूपी के शाहजहांपुर का फीलनगर गांव, जानिये इसकी खास बातें

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले का फीलनगर गांव बालों में लगाई जाने वाली नकली चोटियों के उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 2 July 2023, 1:19 PM IST
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शाहजहांपुर: उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले का फीलनगर गांव बालों में लगाई जाने वाली नकली चोटियों के उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया है।

हालांकि, नकली चोटियां केवल साज-सज्जा के तौर पर ही नहीं इस्तेमाल होती। ग्रामीणों का कहना है कि बुरी नजर से बचने के लिए बहुत से लोग इसे घरों और दुकानों के बाहर, वाहनों पर लटकाते हैं और अपने मवेशियों के गले में भी बांधते हैं।

जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर स्थित फीलनगर गांव में बनी चोटियां पूरे भारत में बिकती हैं और ग्रामीणों को रोजगार भी मुहैया कराती हैं।

तिलहर ब्लाक के अंतर्गत आने वाले फीलनगर गांव के हर घर में चोटी बनाने का काम होता है। तेज आवाज में संगीत सुनते हुए गांव के लोग चोटी बनाने का काम करते हैं। लगभग 3500 की जनसंख्या वाले गांव में सभी जातियों के लोग रहते हैं। गांव में आपसी सौहार्द की चर्चा करते हुए एक बुजुर्ग ने बताया कि शाम को कहासुनी होने के बाद सुबह फिर बोल-चाल शुरू हो जाती है और यहां के मामले ज्यादातर यहीं खत्म होते हैं, थाने जाने की जरूरत नहीं पड़ती।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार फर्रुखाबाद के अजय कश्यप बताते हैं कि वह दिल्ली में कारोबार करते थे लेकिन कोविड-19 में काम नहीं होने के कारण वह घर लौट गए थे।

उन्होंने बताया कि कुछ दिन घर पर बैठने के बाद वह अपने रिश्तेदारों के घर फीलनगर आ गए और यहां पर चोटी बनाने का काम शुरू कर दिया।

कश्यप ने बताया,‘‘ भीलवाड़ा, राजस्थान, गुजरात से कच्चा धागा लाया जाता है और इसे साफ किया जाता है, फिर इन्हें एक आकार में काटने के बाद गांव के कारीगरों खासकर महिलाओं को दे दिया जाता है, जिनमें वे गांठ लगाती हैं।’’

उन्होंने बताया कि इस तरह कई लोगों की कारीगरी के बाद चोटिला यानी नकली चोटी बनकर तैयार होती है।

इससे होने वाली आय के बारे में कश्यप का कहना है कि हर कारीगर 300 रुपये से लेकर 500 रुपये तक रोजाना कमा लेता है। छोटे-मोटे रोजगार करने वाले लोग गांव से ही चोटी ले जाकर इन्हें मेलों और बाजारों में बेचते हैं।

इस काम से जुड़े ठेकेदार अफरोज अली ने बताया कि गांव में चोटी पूरे साल बनाई जाती है, लेकिन अगस्त से अक्टूबर तक इसकी मांग ज्यादा रहती है। अली ने बताया कि एक अच्छी चोटी 300 रुपये में बिकती है।

स्थानीय लोगों के अनुसार यह चोटी ट्रक चालकों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय हैं, वे अपने ट्रकों को चोटियों से सजाते हैं। एक ट्रक ड्राइवर तालिब खान ने कहा ,‘‘ हम अपने वाहन को बुरी नजर और अपशकुन से बचाने के लिए चोटी का इस्तेमाल करते हैं। चोटी ट्रक को भी खूबसूरत बनाती है।’’

कश्यप ने कहा, ‘‘एक समय ये चोटियां उन महिलाओं के बीच लोकप्रिय थीं जो अपने बालों को लंबा दिखाने के लिए साज-सज्जा में इनका इस्तेमाल करती थीं। लेकिन अब इसकी जगह अन्य चोटियों ने ले ली है जिनमें प्राकृतिक बालों का इस्तेमाल होता है।’’

जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह ने बताया, ‘‘तिलहर ब्लाक के अंतर्गत फीलनगर गांव में बड़े पैमाने पर स्वरोजगार हो रहा है। यहां पर महिलाओं के सिंगार के लिए बालों में लगाने वाली तथा ट्रकों में सजावट के लिए लगाई जाने वाली चोटियां बनाई जाती हैं और इस कार्य में गांव के युवक, महिलाएं, वृद्ध सभी लोग शामिल हैं इसी कारण इस गांव के लोग अन्य स्थानों में नौकरी करने नहीं जाते हैं।''

सिंह ने बताया, ‘‘इस गांव में कई दशकों से चोटी बनाने का काम हो रहा है, पहले इसे एक खास जाति के लोग करते थे परंतु अब सभी वर्गों के लोगों ने इसे अपना लिया है। महिलाएं भी अपने खाली समय का उपयोग चोटी बनाने में करती हैं और इससे उन्हें अच्छी आय भी हो जाती है।’’

शाहजहांपुर के पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार मीणा ने बताया कि फीलनगर गांव में कोई भी आदतन अपराधी, दुष्कर्मी अथवा आपराधिक इतिहास वाला व्यक्ति नहीं है।

उन्होंने कहा ,‘‘गांव में वर्ष 2011 में एक हत्या हुई थी, इसके बाद से ऐसी कोई घटना नहीं हुई। फीलनगर में आपराधिक घटनाएं लगभग नगण्य हैं क्योंकि गांव के लोग अपने काम में मशगूल रहते हैं।’’

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