आखिर अपने आदेशों का पालन तक क्यों नहीं करा पा रहे हैं मुख्यमंत्री?

जय प्रकाश पाठक

आये दिन मुख्यमंत्री के गुस्से के शिकार नौकरशाह होते हैं। कभी कोई आईएएस तो कभी कोई आईपीएस। मुख्यमंत्री ऐसे अफसरों को तत्काल हटाने का निर्देश भी देते हैं लेकिन ये क्या ..आदेश का अनुपालन तक नही हो पाता.. ऐसे में उनका आदेश महज मजाक बनकर रह जाता है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव..

सीएम योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
सीएम योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)


लखनऊ: आखिर ऐसा कैसे हो सकता है कि सीएम कोई आदेश दें और उसका अनुपालन ही न हो? या तो सीएम आदेश देते वक्त सीरियस नही रहते या फिर आदेश देने के बाद उसके अनुपालन में सीरियस नही रहते।

इसी साल सितंबर महीने में आईएएस संजय कुमार सीएम की बैठक से लापता हो गये। सीएम का गुस्सा सातवें आसमान पर औऱ भरी मीटिंग में इन्हें भला-बुरा कहते हुए तत्काल राहत आयुक्त के पद से हटाने को कहा लेकिन सीएम के मातहत अफसर तो ठहरे बड़े कलाकार.. न जाने कौन सा गुणा-गणित लगाकर समझाया कि आज तक सीएम की नज़र में नाकारा दिखने वाले ये अफसर अभी भी उसी कुर्सी पर कुंडली मारे बैठे हैं। 

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आदेश का पालन न हो तो भी अफसरों का क्या बिगड़ना लेकिन हां.. सीएम की छवि आम जनमानस में जबरदस्त तरीके से खराब हो रही है। लोग तो लोग.. चालू किस्म के अफसर भी सीएम के आदेशों को अब हल्के में लेने लगे हैं कि छोड़ो.. जाने भी दो यारों.. सीएम डाटेंगे-फटकारेंगे लेकिन कुछ बिगाड़ेंगे नही.. जरा याद कीजिये.. सहारनपुर हिंसा और फतेहपुर खनन सहित एक-दो मामलों को छोड़ दें तो पौने दो साल की सरकार में कितने अफसरों पर सख्त कार्यवाही हुई.. कहते हैं अफसर तो नेताओं की आंखों में पढ़ लेते हैं कि इनकी लंबाई है कितनी.. ज्यादा दिन नही हुआ अभी पिछले महीने ही संघ प्रमुख मोहन भागवत ने नई दिल्ली के खचाखच भरे हाल में एक किताब के विमोचन के दौरान बेलगाम नौकरशाही को जमकर कोसा था औऱ इन्हें ही भाजपानीत सरकारों के गिरते ग्राफ का जिम्मेदार माना था। 

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दूसरा मामला एक आईपीएस से जुड़ा है। अपने गृह जनपद गोरखपुर के एक भ्रष्ट और अवैध बसें चलवाकर धनउगाही करने वाले सीओ संतोष सिंह को निलंबित करने का फरमान सीएम सुनाते हैं। इसी के साथ सूबे की यातायात व्यवस्था से नाखुश एडीजी ट्रैफिक एमके बशाल को हटाने का आदेश मुख्यमंत्री देते हैं। मगर लापरवाही की हद तो देखिए कि मुख्यमंत्री के आदेश देने 3 दिन बाद भी अब तक आईपीएस के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है। सीओ स्तर के अधिकारी को निलंबित कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जा रही है। ये सब हालत तब है जब सीएम के ये आदेश राजधानी के प्रमुख अखबारों पर पहले पन्ने की खबर बन चुके होते हैं। 

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डाइनामाइट न्यूज़ को एक अनुभवी राजनेता ने अपने अनुभव के आधार पर बताया कि ये नौकरशाह बेलगाम घोड़े की तरह होते हैं और इन्हें सिर्फ वही काबू में कर सकता है जो अच्छा घुड़सवार हो और उसे पता हो कि लगाम कितनी और किस तरह खींचकर पकड़नी है। 

 










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