भालू की मौत पर बवाल, वन अधिकारियों के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल
राज्य के तिरुवनंतपुरम जिले में हाल ही में कुएं में डूबने से एक भालू की मौत हो जाने को लेकर केरल उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें उसे (भालू को) बचाने के प्रयासों में शामिल वन अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया गया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
कोच्चि: राज्य के तिरुवनंतपुरम जिले में हाल ही में कुएं में डूबने से एक भालू की मौत हो जाने को लेकर केरल उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें उसे (भालू को) बचाने के प्रयासों में शामिल वन अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया गया है।
एक चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि भालू को शांत करने के लिए एक पशु चिकित्सक द्वारा ‘चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन’ की मंजूरी के बिना और निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन किए बिना उसे (भालू को) ट्रांक्विलाइजर (प्रशीतक) का इंजेक्शन दिया गया।
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‘वॉकिंग आई फाउंडेशन फॉर एनिमल एडवोकेसी’ ट्रस्ट ने दावा किया कि ऐसे मामलों के लिए मानक संचालन प्रोटोकॉल के अनुसार, अग्निशमन कर्मियों की मदद से कुएं का पानी निकाला जाना चाहिए था और भालू को जाल से ढकने के बाद ही उसे शांत (डार्ट) किया जाना चाहिए था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, ट्रस्ट के संस्थापक और प्रबंधक न्यासी विवेक के. विश्वनाथ ने अपनी याचिका में दावा किया कि इनमें से किसी भी कदम का पालन नहीं किया गया। विश्वनाथ द्वारा दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होने की संभावना है।
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याचिका में तिरुवनंतपुरम के डीएफओ, चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन, रेंज वन अधिकारी और भालू को शांत करने के लिए ट्रांक्विलाइजर (प्रशीतक) का इंजेक्शन देने वाले पशु चिकित्सक सहित कई अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत प्रशासनिक कार्रवाई का अनुरोध किया गया है।
पिछले सप्ताह 20 अप्रैल को तिरुवनंतपुरम जिले में वेल्लानाड के एक रिहायशी इलाके में कुएं में गिरे एक भालू की बेहोश होने के बाद डूबने से मौत हो गई थी। भालू को बाहर निकालने के प्रयासों के तहत ट्रांक्विलाइजर (प्रशीतक) का इंजेक्शन दिया गया था जिसके बाद वह एक घंटे से अधिक समय तक पानी में ही पड़ा रहा और उसकी मौत हो गई।