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Wakf Amendment Bill 2025: वक्फ विधेयक 2025 लोकसभा में पेश, पक्ष-विपक्ष के बीच हुआ हंगामा

केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ विधेयक 2025 पेश किया। विधेयक को लेकर मुस्लिम समुदाय में नाराजगी है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Wakf Amendment Bill 2025: वक्फ विधेयक 2025 लोकसभा में पेश, पक्ष-विपक्ष के बीच हुआ हंगामा

नई दिल्ली: केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को लोकसभा में वक्फ  विधेयक 2025 पेश किया। इस विधेयक पर सदन में 8 घंटे तक चर्चा होने की संभावना है। भाजपा ने अपने सभी सांसदों को इस सत्र में मौजूद रहने का निर्देश दिया है, जबकि एनडीए के सहयोगी दलों-जदयू, तेलुगु देशम पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी  ने इसका समर्थन किया है। वहीं, विपक्षी गठबंधन 'भारत' ने विधेयक का खुलकर विरोध करने की योजना बनाई है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार,  पहले वक्फ न्यायाधिकरण के फैसले अंतिम माने जाते थे, लेकिन अब उन्हें हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। विपक्ष इसे न्यायाधिकरण की शक्ति को कमजोर करने वाला कदम मान रहा है। सरकार ने हर छह महीने में वक्फ संपत्तियों का ब्योरा केंद्रीय पोर्टल पर उपलब्ध कराने का प्रावधान किया है, जिसे पारदर्शिता बढ़ाने वाला कदम बताया जा रहा है। विपक्ष इसे सरकारी निगरानी का गुप्त जरिया मानकर इसका विरोध कर रहा है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, विपक्ष का दावा है कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 और 26  का उल्लंघन करता है। सरकार का कहना है कि यह मुस्लिम समुदाय के हित में सुधारात्मक कदम है। सरकार को वक्फ बोर्ड के खातों के ऑडिट का अधिकार दिए जाने को विपक्ष वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता पर हमला मान रहा है। सरकार का तर्क है कि इससे सरकारी संपत्तियां वक्फ का हिस्सा नहीं मानी जाएंगी और कलेक्टर इस पर फैसला लेंगे। विपक्ष इसे सरकारी संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करने की योजना बता रहा है।

पहले भी विधेयक बिल रहा चर्चा में

यह विधेयक पहले भी चर्चा में रहा है। अगस्त 2024 में किरण रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 और मुस्लिम वक्फ (निरसन) विधेयक 2024 पेश किया था, जिसे बाद में संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया था। विधेयक में मुस्लिम महिलाओं के प्रतिनिधित्व और समितियों में अन्य धर्मों के सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान भी शामिल है। 2013 में आखिरी संशोधन के बाद यह विधेयक अब और अधिक विवादास्पद हो गया है।

 

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