यूपी के नौकरशाही की Exclusive लड़ाई: अपर मुख्य सचिव से उलझना महिला अफसर को पड़ा महंगा, रिटायरमेंट से एक दिन पहले 100 तबादले निरस्त, विभागाध्यक्ष के खिलाफ जांच के आदेश से मचा हड़कंप
यदि किसी के बहकावे में आकर मातहत अपने ही बॉस यानि अपर मुख्य सचिव को नजरअंदाज करता है तो रिटायरमेंट के बाद उसकी नींद कैसे हराम की जाती है, इसका ज्वलंत उदाहरण यूपी में देखने को मिल रहा है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
लखनऊ: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के आईएएस अफसर यूं ही नहीं देश भर में चर्चित है। मौके का इंतजार करना और फिर मौके पर चौक्का मारना कोई इनसे सीखे।
ताजा मामला राज्य के वन विभाग का है। कल यानि 31 जुलाई को रिटायर हो रही हैं यूपी के वन विभाग की नंबर वन की अधिकारी तथा 1986 बैच की भारतीय वन सेवा (IFoS) की अफसर ममता संजीव दूबे (Mamta Sanjeev Dubey)। ये वर्तमान में उत्तर प्रदेश वन विभाग की विभागाध्यक्ष हैं और साथ ही उत्तर प्रदेश की प्रधान मुख्य वन संरक्षक हैं।
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डाइनामाइट न्यूज़ की खोजी टीम की खबर के मुताबिक इन्होंने किसी अंजान शख्स को अपना रहनुमा मान बिना विभागीय अपर मुख्य सचिव की अनुमति के 70 से लेकर 100 क्षेत्रीय वनाधिकारियों के स्थानांतरण कर डाले वो भी तबादला सीजन 30 जून बीत जाने के बाद।
तबादले किये गये निरस्त, उड़े होश
अब मामला जब रिटायरमेंट की दहलीज पर आया तो महिला अफसर के कान खड़े हो गये एक पत्र को पढ़कर। राज्य के अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन IAS मनोज सिंह (UP:89) ने एक सनसनीखेज पत्र इनके रिटायरमेंट से 24 घंटे पहले जारी किया है। इसमें इनके ऊपर 70 से लेकर 100 क्षेत्रीय वनाधिकारियों के अनियमित तरीके से किये गये स्थानांतरण पर गंभीर सवालिया निशान लगाते हुए तत्काल प्रभाव से इन सभी तबादलों को निरस्त कर दिया गया है।
तबादलों में गंभीर गड़बड़ी की होगी विस्तृत जांच
इससे भी बड़ी चौंकाने वाली बात यह है कि इन तबादलों की उच्च स्तरीय जांच के भी आदेश दे दिये गये हैं। मतलब यह कि रिटायरमेंट के बाद मैडम का बचा-खुचा समय जांच में अपनी सफाई देते-देते निकल जायेगा।
अंदर की कहानी
जानकार बताते हैं कि यूपी के वन विभाग को मैडम ने दिल्ली के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय में बैठने वाले और यूपी से गहरा ताल्लुक रखने वाले एक अफसर के मन-मुताबिक चलाया। इसी कारण वे हर गलत-सही फैसले एक के बाद एक करती गयीं। यह बात विभागीय अपर मुख्य सचिव को बेहद नागवार गुजरी। लंबे वक्त तक तो वे सब कुछ सहते रहे लेकिन अंत में उन्होंने अपनी तलवार म्यान से निकालकर तबादले तो निरस्त किये ही साथ ही वन विभाग की सबसे बड़ी अफसर पर उच्च स्तरीय जांच बैठाकर विभाग में हलचल पैदा कर दी है।