ब्रिटिश अधिकारी बन गया शिवभक्त, जानिए कैसे..

डीएन संवाददाता

कानपुर में सैकड़ों वर्ष पुराना शिव मंदिर है। इस मंदिर में एक अनोखी चीज़ देखने को मिली है। यहां मंदिर की दीवार में देवी देवताओं की मूर्ति के साथ एक ब्रिटिश अधिकारी की भी मूर्ति लगी हुई है, डाइनामाइट न्यूज़ की इस खास रिपोर्ट में आज हम आपको बताने जा रहे हैं इस विदेशी के शिव मंदिर में मूर्ति लगने की वजह और और शिवभक्त बनने की पूरी कहानी..

शिव मंदिर
शिव मंदिर


कानपुर: कानपुर नगर के कोतवाली क्षेत्र में गंगा किनारे बना भगवतदास घाट है। यहां सैकड़ों वर्ष पुराना शिव मंदिर है। इस मंदिर में एक अनोखी चीज़ देखने को मिली है। यहां मंदिर की दीवार में देवी-देवताओं की मूर्ति के साथ एक ब्रिटिश अधिकारी की भी मूर्ति लगी हुई है। आखिर ये विदेशी अधिकारी कौन है और किन कारणों से लगी है यहां ये मूर्ति? आखिर कैसे बन गया ये विदेशी अधिकारी शिवभक्त, यहअपने आप मे कई तरह के सवाल भी खड़ा कर रहा है। तो चलिए डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में आपको बताते है कि शिव मंदिर में इस विदेशी अधिकारी की मूर्ति लगने की क्या वजह है और यह ये विदेशी कैसा बना शिवभक्त। 

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सत्तीचौरा काण्ड में इस अंग्रेजी शासक ने मचा रखा था आतंक

कोतवाली थाना क्षेत्र के भगवत दास घाट में अष्टकोणीय शिव मंदिर बना हुआ है। जिसमें हिन्दू देवी देवताओं भगवान गणेश, मां दुर्गा, मां काली, भैरव बाबा, हनुमान जी के बीच घोडे़ में सवार हैट लगाए और रूल छड़ी लिए हुए एक अंग्रेज अधिकारी जान स्टूबर्ड की मूर्ति भी शामिल है। स्थानीय लोग बताते हैं कि अंग्रेज अधिकारी स्टूबर्ड काफी क्रूर शासक था। ऐसा बताते हैं कि ये अंग्रेज प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय कानपुर में क्रांतिकारियों को जड़ से हटाने के लिए आया था। यहां पहुंचने पर इस विदेशी ने आतंक मचा रखा था। ये इलाका उस दरमियां छावनी के अधीन आता था, जिसकी वजह से आम आदमी यहां आ नहीं सकते थे केवल विदेशी लोग ही अक्सर यहां सैर सपाटा के लिए आते थे। पंडित अवधेश मिश्र बताते है कि इस विदेशी ने यहां सैकड़ों क्रांतिकारियों को मौत के घाट उतारा था। जिसके बाद इनके शवों को गंगा में दफना दिया गया था।  तब से ये सत्तीचौरा कांड के नाम से भी जाना जाने लगा। इस कांड के बाद से यहां लाशों का अंतिम संस्कार भी किया जाने लगा। पंडित ने बताया कि ऐसा कहा जाता है कि स्टूबर्ड मंदिर में भक्तों को शिव की पूजा करते हुए देखा करता है जिसके बाद उसके मन मे भी शिव की आराधना करने की जिज्ञासा जागी। धीरे धीरे वह पूरी तरह शिवभक्ति में लीन हो गया और शिवभक्त बन गया। इस दौरान स्टूबर्ड के कुछ विदेशी साथी उसकी इन हरकतों से चिढ़ने लगे जिसके बाद उन विदेशियों ने उसे भी मौत की नींद सुला दी।

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मूर्ति किसने लगवाई इस बात से आज भी लोग हैं अंजान

उन्होंने बताया कि इस अंग्रेज शासक की मूर्ति कब और किसने यहां लगाई। इसके बारे में किसी को सही जानकारी नहीं है। मगर ऐसा माना जाता है किसी भारतीय ने ही इसकी मूर्ति लगवाई है।

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मूर्ति हटाये जाने को लेकर हो जाती है अनहोनी

लोग बताते हैं कि मंदिर में देवी देवताओं के बीच लगी ये अंग्रेज़ी शासक की मूर्ति को कई बार लोगों ने हटाना चाहा और कई बार इसे खंडित करने की भी कोशिश की गई जिसके बाद फिर से इस मंदिर का रेनोवेशन कर मूर्ति का निर्माण करवा दिया गया। पुजारी का कहना है कि जब जब इस मूर्ति को खंडित करने या हटाये जाने की बात की जाती है, तब-तब यहां कुछ न कुछ अनहोनी हो जाती है। आज भी इस अंग्रेज़ी शासक की मूर्ति इस शिव मंदिर में मौजूद है जिस तरह मंदिर की साफ सफाई का ध्यान रखा जाता है उसी तरह इस विदेशी अधिकारी की मूर्ति का भी ध्यान रखा जाता है।










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