UP First Glass Bridge: यूपी में भी अब 'शीशे का पुल’, जानें आम लोगों के लिए कब से खुलेगा

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश का पहला ग्लास स्काई वाक ब्रिज तुलसी (शबरी) जल प्रपात में बनकर तैयार हो गया है। कोदंड वन स्थित प्रपात पर 3.70 करोड़ रुपये से भगवान राम के धनुष और बाण के आकार का ब्रिज बनाया गया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

यूपी में भी अब 'शीशे का पुल’
यूपी में भी अब 'शीशे का पुल’


चित्रकूट: उत्तर प्रदेश का पहला ग्लास स्काई वाक ब्रिज चित्रकूट में तुलसी (शबरी) जल प्रपात में बनकर तैयार हो गया है। कोदंड वन स्थित प्रपात पर 3.70 करोड़ रुपये से भगवान राम के धनुष और बाण के आकार का ब्रिज बनाया गया है।

पर्यटकों के लिए यह ब्रिज लोकसभा चुनाव के बाद खोला जाएगा। आने वाले समय में यह सबसे खूबसूरत ईको टूरिज्म केंद्र बनेगा। यहां पर राक व हर्बल गार्डन के साथ रेस्टोरेंट भी बनाए जा रहे हैं।

वन और पर्यटक विभाग ने करवाया निर्माण

वन और पर्यटन विभाग की ओर से ग्लास स्काई वाक ब्रिज का निर्माण कराया गया है। इसे गाजीपुर की पवन सुत कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बनाया है। मारकुंडी रेंज में जिस जल प्रपात पर ग्लास स्काई वाक ब्रिज बना है, उसे पहले शबरी जल प्रपात कहा जाता था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार प्रभु श्रीराम की तपोभूमि के साथ राजापुर में गोस्वामी तुलसीदास का जन्म स्थान होने से पिछले साल प्रदेश सरकार ने इसका नाम बदलकर तुलसी जल प्रपात कर दिया था।

धनुष और बाण के आकार का है यह ब्रिज

रेंजर नदीम मोहम्मद ने बताया कि धनुष और बाण के आकार में बने ब्रिज में खाई की ओर बाण की लंबाई 25 मीटर है, जबकि दोनों पिलर के बीच धनुष की चौड़ाई 35 मीटर है। पुल की भार क्षमता प्रति वर्ग मीटर में 500 किलोग्राम होगी।

तुलसी जल प्रपात में पानी की तीन धाराएं चट्टानों से गिरती हैं। ये लगभग 40 फीट की ऊंचाई पर एक वाइड वाटर बेड यानी जल शैया में गिरकर जंगल में लुप्त हो जाती हैं। जैसे ही लोग स्काई वाक पुल पर चलेंगे तो चट्टानों पर पानी गिरने और नीचे जंगल का नजारा भी दिखेगा।










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