

भारतीय रेल से सफर करते हैं तो आपने देखा होगा कि एसी कोच में यात्रियों को जो चादर, तकिया कवर और तौलिया दिया जाता है, वह अधिकतर सफेद रंग का होता है। क्या आपने कभी सोचा है कि सफेद चादर ही क्यों दी जाती है? पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट
नई दिल्ली: अगर आप भारतीय रेल से सफर करते हैं तो आपने देखा होगा कि एसी कोच में यात्रियों को जो चादर, तकिया कवर और तौलिया दिया जाता है, वह अधिकतर सफेद रंग का होता है। क्या आपने कभी सोचा है कि सफेद चादर ही क्यों दी जाती है? कोई रंगीन या डिजाइनर चादर क्यों नहीं? इसके पीछे सिर्फ सजावट या दिखावे की बात नहीं है, बल्कि इसके कई व्यावहारिक और स्वच्छता से जुड़े कारण हैं, जो भारतीय रेलवे की सोच और सेवाओं को दर्शाते हैं।
यह निर्णय न सिर्फ आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद है बल्कि यात्रियों की सेहत और सफर को आरामदायक बनाने के उद्देश्य से भी लिया गया है। आइए जानते हैं कि ट्रेनों में सफेद चादर देने के पीछे की असली वजहें क्या हैं।
स्वच्छता की आसानी से पहचान
सफेद रंग की चादर पर गंदगी या दाग-धब्बे तुरंत नजर आ जाते हैं। इससे साफ-सफाई की स्थिति को आसानी से जांचा जा सकता है। अगर चादर गंदी हो, तो यात्री तुरंत शिकायत कर सकते हैं या उसे बदलवा सकते हैं। रंगीन चादर में यह पहचानना मुश्किल होता है कि वह साफ है या नहीं।
धुलाई में होती है सुविधा
सफेद कपड़े को धोने में अधिक आसानी होती है। इसे किसी भी प्रकार के डिटर्जेंट, ब्लीच या गर्म पानी से साफ किया जा सकता है, जिससे उसमें जमा बैक्टीरिया और दाग हट जाते हैं। रंगीन चादरें बार-बार धोने पर जल्दी रंग छोड़ने लगती हैं और उनकी उम्र भी कम हो जाती है।
हाइजीन और स्वास्थ्य का सवाल
रेलवे प्रतिदिन लाखों यात्रियों को चादरें उपलब्ध कराता है। ऐसे में स्वच्छता एक बड़ा मुद्दा है। सफेद चादर न सिर्फ हाइजीन को दर्शाती है बल्कि यह यात्रियों को मानसिक रूप से भी सुकून देती है कि वे स्वच्छ बिस्तर पर आराम कर रहे हैं। यह अस्पतालों की तरह साफ-सुथरा और भरोसेमंद अनुभव देता है।
खर्च की बचत
भारतीय रेलवे को प्रतिदिन हजारों चादरें धोनी और रिप्लेस करनी होती हैं। सफेद चादरें रंगीन कपड़ों की तुलना में सस्ती और लंबे समय तक टिकाऊ होती हैं। इसके अलावा इन्हें बार-बार रंगवाने या विशेष देखभाल की आवश्यकता भी नहीं होती, जिससे रेलवे के रख-रखाव खर्च में कमी आती है।
मानक और एकरूपता का पालन
सफेद चादर रेलवे की एकरूपता को बनाए रखने में भी मदद करती है। यह सभी कोच में एक जैसे स्टैंडर्ड का अनुभव देती है और यात्रियों को यह महसूस कराती है कि उन्हें समान और निष्पक्ष सेवा मिल रही है।