पाकिस्तान से मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए ,पंजाब पुलिस ने पठानकोट में ड्रोन आपात प्रतिक्रिया प्रणाली की शुरू
पंजाब पुलिस ने ड्रोन का उपयोग करके सीमा पार से मादक पदार्थ और हथियारों की तस्करी के प्रयासों को विफल करने के लिए पठानकोट के सीमावर्ती जिले में एक ड्रोन आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली शुरू की है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
चंडीगढ़: पंजाब पुलिस ने ड्रोन का उपयोग करके सीमा पार से मादक पदार्थ और हथियारों की तस्करी के प्रयासों को विफल करने के लिए पठानकोट के सीमावर्ती जिले में एक ड्रोन आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली शुरू की है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
ड्रोन आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली के तहत पड़ोसी देश से नशीले पदार्थों और हथियारों तथा गोला-बारूद की तस्करी की घटनाओं पर त्वरित प्रतिक्रिया के लिए पुलिस भारत-पाकिस्तान सीमा से लगे क्षेत्रों में ग्राम-स्तरीय रक्षा समितियों के साथ समन्वय करेगी।
अधिकारियों के मुताबिक, सीमा पार से मादक पदार्थ और हथियारों की तस्करी के लिए ड्रोन की लगातार आवाजाही पंजाब में सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौती बन गई है।
उन्होंने कहा कि शायद ही कोई दिन ऐसा जाता है जब पंजाब के सीमावर्ती जिलों में ड्रोन की गतिविधि नहीं देखी जाती है, जबकि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने हाल के दिनों में कई ड्रोन को मार गिराया है और हेरोइन के पैकेट जब्त किए हैं।
बीएसएफ ने पिछले कुछ हफ्तों में पंजाब में कई ड्रोन को मार गिराया। पंजाब पाकिस्तान के साथ 553 किलोमीटर की सीमा साझा करता है।
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पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने भारत में मादक पदार्थ भेजने की पाकिस्तान की हरकत को लेकर उस पर पिछले हफ्ते निशाना साधा और कहा कि पड़ोसी देश को सबक सिखाने के लिए उसके खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की जानी चाहिए।
सीमावर्ती जिलों की अपने दो दिवसीय यात्रा के दौरान पुरोहित ने नशीले पदार्थों की जब्ती, सीमा सुरक्षा और ड्रोन के मुद्दे से निपटने के लिए पंजाब पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा किए गए प्रयासों की भी सराहना की।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पठानकोट के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरकमल प्रीत सिंह खख ने कहा कि ड्रोन आपात प्रतिक्रिया प्रणाली (डीईआरएस) को प्रायोगिक आधार पर पठानकोट में लागू किया जा रहा है और इसे राज्य के अन्य सीमावर्ती जिलों में भी लागू किया जाएगा।
डीईआरएस को पठानकोट के उन 14 गांवों में लागू किया गया है जो अंतरराष्ट्रीय सीमा के दो किलोमीटर के दायरे में हैं।
उन्होंने कहा कि इन 14 गांवों में से प्रत्येक में दो ग्राम पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया है। ग्राम पुलिस अधिकारी (वीपीओ) स्थानीय निवासी हैं और वे अपने गांवों में किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखने के लिए ग्राम-स्तरीय रक्षा समितियों (वीएलडीसी) के साथ मिलकर काम करेंगे।
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उन्होंने कहा कि जब भी किसी गांव में कोई ड्रोन गतिविधि दिखेगी तो वीपीओ वीएलडीसी को सक्रिय करेगा और पुलिस नियंत्रण कक्ष को भी सूचित करेगा।
गुरदासपुर के उपायुक्त हिमांशु अग्रवाल ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के 15 किलोमीटर के दायरे में स्थित 265 गांवों में 11-11 सदस्यों वाले वीएलडीसी स्थापित किए गए हैं।
अग्रवाल ने कहा कि वीएलडीसी के सदस्य मुख्य रूप से ग्राम प्रधान, पूर्व सैनिक या प्रभावशाली व्यक्ति हैं और अगर वे कोई संदिग्ध गतिविधि देखते हैं, तो वे इस बारे में संबंधित प्राधिकरण को सूचित करेंगे।