केंद्र के साथ बातचीत विफल रही तो कानूनी विकल्प अपनाने पर विचार करेगी टीएमसी : मित्रा

डीएन ब्यूरो

पश्चिम बंगाल में वित्त मामलों पर मुख्यमंत्री के प्रधान मुख्य सलाहकार अमित मित्रा ने शनिवार को दावा किया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत केंद्र पर राज्य का 6,907 करोड़ रुपये बकाया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

केंद्र के साथ बातचीत विफल रही तो कानूनी विकल्प अपनाने पर विचार करेगी टीएमसी
केंद्र के साथ बातचीत विफल रही तो कानूनी विकल्प अपनाने पर विचार करेगी टीएमसी


कोलकाता:  पश्चिम बंगाल में वित्त मामलों पर मुख्यमंत्री के प्रधान मुख्य सलाहकार अमित मित्रा ने शनिवार को दावा किया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत केंद्र पर राज्य का 6,907 करोड़ रुपये बकाया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार के साथ इस दिशा में बातचीत विफल रहती है, तो तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) मामले में कानूनी विकल्प अपनाने पर विचार करेगी।

अर्थशास्त्री और राज्य के पूर्व वित्त मंत्री मित्रा ने कहा कि मामले में कई गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है और राज्य सरकार इन याचिकाओं पर फैसला आने का इंतजार कर रही है।

संवाददाताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए मित्रा ने कहा, ''मनरेगा धन आवंटन के तहत 29 सितंबर 2023 तक केंद्र सरकार पर पश्चिम बंगाल का बकाया 6,907 करोड़ रुपये हो चुका है। अन्य राज्यों का भी बकाया होगा। इससे ज्यादा संघ-विरोधी बात क्या हो सकती है? भारत सरकार राज्यों को उनके वैध बकाये और पश्चिम बंगाल में 2.54 करोड़ कार्ड धारकों को ग्रामीण रोजगार से वंचित कर संघवाद को कैसे कमजोर कर सकती है?''

मित्रा ने कहा कि केंद्र सरकार को ब्याज के साथ बकाया राशि का भुगतान करना चाहिए। उन्होंने कहा, ''केंद्र ने जो बकाया राशि अवैध रूप से रोक रखी है, उसे उस पर ब्याज देना होगा। पश्चिम बंगाल के मामले में ब्याज की राशि 200 करोड़ रुपये है।''

केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ''राज्यों को दरकिनार करना और उन्हें उनके बकाये का भुगतान न करना सबसे खराब प्रकार का संघीय ढांचा विरोधी कृत्य है। यह ढर्रा विरोधी दलों के शासन वाले अन्य राज्यों में भी अपनाया जा रहा है। हम केंद्र सरकार के साथ बातचीत के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अगर बातचीत विफल रहती है, तो अदालत का रास्ता हमेशा खुला हुआ है।''

मित्रा ने अधिनियम की धारा-27 को लागू किए बिना 24 दिसंबर 2021 को मनरेगा के तहत बंगाल को धन आवंटित न करने के लिए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि मंत्रालय द्वारा यह प्रावधान नौ मार्च 2022 को लागू किया गया था। मित्रा ने आरोप लगाया, ''उन्हें (केंद्र सरकार को) अब कानून की परवाह नहीं है।''

 










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