आरबीआई के ताजा बुलेटिन में मौद्रिक नीति और महंगाई को लेकर कही गई ये बड़ी बातें
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि मौद्रिक नीति का असर दिख रहा है और महंगाई में पर्याप्त कमी आई है।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के ताजा बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया है कि मौद्रिक नीति का असर दिख रहा है और महंगाई में पर्याप्त कमी आई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार लेख में यह भी कहा गया है कि जब तक मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाती, तब तक सख्ती जारी रहेगी।
सरकार ने आरबीआई से यह जिम्मेदारी दी है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रहे।
मुद्रास्फीति जनवरी-फरवरी 2023 में छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर थी। हालांकि, इससे पहले नवंबर-दिसंबर 2022 में खुदरा महंगाई के अस्थाई रूप से छह प्रतिशत के दायरे में आने से राहत मिली थी।
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केंद्रीय बैंक ने महंगाई पर काबू पाने के लिए मई 2022 से ब्याज दर में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि की। हालांकि इस महीने की शुरुआत में हुई समीक्षा में दर नहीं बढ़ाई गई।
इस साल मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति 15 महीने के निचले स्तर 5.66 प्रतिशत पर आ गई।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा की अगुवाई में एक दल ने इस लेख को लिखा है। इसमें कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक स्थिति अत्यधिक अनिश्चितता से घिरी हुई है।
लेख के मुताबिक भारत में सकल मांग की स्थिति मजबूत बनी हुई है। मांग को होटल जैसे संपर्क से जुड़े सेवा क्षेत्रों से समर्थन मिल रहा है। इसमें आगे कहा गया कि रबी फसल अच्छी होने की उम्मीद, बुनियादी ढांचे पर जोर और चुनिंदा क्षेत्रों में कॉरपोरेट निवेश बढ़ने के कारण अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे संकेत हैं।
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आरबीआई बुलेटिन में प्रकाशित 'अर्थव्यवस्था की स्थिति' शीर्षक वाले लेख में कहा गया है, ''मौद्रिक नीति असरदार है। महंगाई में पर्याप्त कमी हो चुकी है, लेकिन मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य पर या उसके करीब लाने तक सख्ती जारी रहेगी।''
लेख में कहा गया है कि मौद्रिक नीति के तहत उठाये गये कदमों से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इस साल मार्च में कम होकर 5.7 प्रतिशत पर आ गयी जो अप्रैल 2022 में 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गयी थी। इसमें आगे और कमी आने तथा 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में 5.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है।