पश्चिम बंगाल में केंद्र की योजनाओं में ‘भ्रष्टाचार’ की सीबीआई जांच हो : शुभेंदु अधिकारी

डीएन ब्यूरो

पश्चिम बंगाल में नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मंगलवार को राज्य में केंद्रीय धन की कथित हेरफेर की सीबीआई जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि “बड़े घोटाले” के पीछे सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल में नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी
पश्चिम बंगाल में नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी


नयी दिल्ली: पश्चिम बंगाल में नेता विपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मंगलवार को राज्य में केंद्रीय धन की कथित हेरफेर की सीबीआई जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि “बड़े घोटाले” के पीछे सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ने यहां आरोप लगाया कि राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ मिलकर तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हजारों ग्राम प्रधान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम (मनरेगा) के तहत काम के संबंध में राज्य में हजारों करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार में शामिल हैं।

उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी पर निशाना साधते हुए दावा किया, “यह एक बड़ा घोटाला है। यह आजादी के बाद सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा।” विपक्षी नेता ने उनपर निशाना साधने के लिए “बुआ-भतीजा” शब्द का इस्तेमाल किया।

लोकसभा सदस्य अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी नेता मनरेगा सहित केंद्र सरकार की कुछ योजनाओं के तहत राज्य को धन जारी नहीं करने को लेकर केंद्र के खिलाफ यहां विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसबीच अधिकारी ने टीएमसी नेताओं पर झूठे और मनगढ़ंत अभियान में शामिल होने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि टीएमसी एक राष्ट्रीय पार्टी हुआ करती थी लेकिन अब एक क्षेत्रीय पार्टी है जो तेजी से पश्चिम बंगाल में अपना आधार खो रही है। उन्होंने दावा किया कि राष्ट्रीय राजधानी में उसके (टीएमसी के) विरोध का उद्देश्य घटते समर्थन को पुनः हासिल करना है।

उन्होंने कहा कि हर मुद्दे पर राजनीति करना और केंद्र में सत्ता का सपना देखना टीएमसी की आदत बन गई है और यही कारण है कि वह “घमंडिया” दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल हो गई है।

भाजपा नेता ने दावा किया कि ये लोग यहां पांच सितारा होटल में रह रहे हैं और नाटक कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मनरेगा योजना के तहत एक करोड़ से अधिक ‘रोजगार कार्ड’ विभिन्न कारणों से हटा दिए गए। उन्होंने दावा किया कि भ्रष्ट सत्तारूढ़ पार्टी के पदाधिकारियों और सरकारी अधिकारियों ने हजारों करोड़ रुपये हड़प लिए।

 










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