मंदिर हादसे में चार परिजनों को खोने वाले व्यक्ति ने आपदा प्रबंधन के इंतजामों पर सवाल उठाए

डीएन ब्यूरो

मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में रामनवमी के दिन अचानक फर्श धंसने से करीब 55 श्रद्धालु जब बावड़ी में जा गिरे, तब लक्ष्मीकांत पटेल (64) इस देवस्थान में चल रहे हवन के बाद होने वाले भंडारे की तैयारियां कर रहे थे।

मंदिर हादसे में चार परिजनों को खोने वाले व्यक्ति ने आपदा प्रबंधन के इंतजामों पर सवाल उठाए(फाइल)
मंदिर हादसे में चार परिजनों को खोने वाले व्यक्ति ने आपदा प्रबंधन के इंतजामों पर सवाल उठाए(फाइल)


मध्य प्रदेश: इंदौर स्थित बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में रामनवमी के दिन अचानक फर्श धंसने से करीब 55 श्रद्धालु जब बावड़ी में जा गिरे, तब लक्ष्मीकांत पटेल (64) इस देवस्थान में चल रहे हवन के बाद होने वाले भंडारे की तैयारियां कर रहे थे।

करीब 24 घंटे चले अभियान के बाद बावड़ी से 36 लोगों के शव निकाले गए और यह जानकर पटेल के पैरों तले जमीन खिसक गई कि वह हादसे में अपनी पत्नी और बहू समेत चार परिजनों को खो चुके हैं।

पटेल, बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर के सामने रहते हैं और उनका परिवार इस देवस्थान की देख-रेख करता है। हादसे के बाद प्रशासन ने लोहे की चादर लगाकर मंदिर और बावड़ी, दोनों को बंद कर दिया है।

पटेल ने शनिवार को संवाददाताओं को बताया, ‘‘रामनवमी को दोपहर 12 बजे हुए हादसे के बाद मैंने जब फायर ब्रिगेड को फोन किया, तो पहले मुझे कहा गया कि पुलिस को खबर करो और फिर बोला गया कि यह (बचाव अभियान शुरू करना) राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) का काम है।’’

पटेल का कहना है कि जब उन्होंने पुलिस और एनडीआरएफ को फोन किया, तो उन्हें इसका उचित रुझान नहीं मिला।

उन्होंने बताया, ‘‘हादसे के तुरंत बाद स्थानीय निवासियों ने मंदिर में पहुंचकर कई लोगों की जान बचाई, क्योंकि सरकारी स्तर पर बचाव अभियान तो दुर्घटना के डेढ़-दो घंटे बाद शुरू हुआ था।’’

पटेल के मुताबिक, प्रशासन के विलम्ब से बुलावा भेजने के कारण थल सेना हादसे के करीब 12 घंटे बाद बचाव अभियान में शामिल हुई।

चश्मदीदों ने हालांकि, बताया कि सेना जब तक घटनास्थल पर पहुंचती, तब तक लोगों की जान बचाने के लिहाज से बहुत देर हो चुकी थी और सेना के पहुंचने के बाद केवल बावड़ी से मलबा और गाद हटाकर शव निकालने का काम किया गया।

मंदिर में हुए भीषण हादसे के बाद सरकारी तंत्र पर उठ रहे सवालों के बीच राज्य के जनसंपर्क विभाग ने एक विज्ञप्ति जारी की है, जिसमें जिलाधिकारी डॉ. इलैयाराजा टी. के हवाले से कहा गया है कि हादसे के बाद आपदा प्रबंधन के तय मापदंडों का पालन किया गया और दुर्घटना से निपटने के मामले में सभी सरकारी एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय था।

इलैयाराजा के मुताबिक, दुर्घटना की सूचना मिलते ही सभी प्रशासनिक अफसर तत्काल मौके पर पहुंच गए थे और फौरन परस्पर चर्चा कर एक रणनीति बना ली गई थी तथा सभी आवश्यक संसाधन समय रहते जुटा लिये गए थे।

दवा की दुकान चलाने वाले उमेश खानचंदानी ने हादसे में अपनी पत्नी भूमिका (32) और अपने डेढ़ वर्षीय भतीजे हितांश को खोया है। खानचंदानी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'हादसा होने के बाद हम कुछ नहीं कर सकते। अगर प्रशासन सतर्क और तैयार रहे, तो आइंदा ऐसे हादसों से बचा जा सकता है।'

खानचंदानी के बड़े भाई संजय ने मांग की कि हादसे की व्यापक जांच की जानी चाहिए और दोषियों को कड़ा दंड मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा, 'जिस मंदिर में हादसा हुआ, हम उसमें पिछले 40 साल से जा रहे हैं, लेकिन हमें हादसे के पहले तक पता नहीं था कि यह मंदिर बावड़ी पर बनाया गया है।'

संजय ने कहा, 'हमने हादसे में अपने परिजनों को खोया है। क्या कोई इस नुकसान की भरपाई कर पाएगा?'










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