भूमि उपयोग में बदलाव के मुद्दे को प्रशासनिक पक्ष के तौर पर लिया जाना चाहिए : न्यायालय

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि भूमि उपयोग में बदलाव से जुड़े मुद्दे को प्रशासनिक पक्ष के तौर पर लिया जाना चाहिए।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

(फाइल फोटो )
(फाइल फोटो )


नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि भूमि उपयोग में बदलाव से जुड़े मुद्दे को प्रशासनिक पक्ष के तौर पर लिया जाना चाहिए।

इसी के साथ शीर्ष अदालत ने उच्चतम न्यायालय बार काउंसिल (एससीबीए) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें न्यायालय को आवंटित 1.33 एकड़ भूमि को वकीलों के कक्ष के निर्माण के लिए देने का अनुरोध किया गया था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सर्वोच्च अदालत ने कहा कि एससीबीए वकीलों के कक्ष के निर्माण के लिए आईटीओ के पास स्थित 1.33 एकड़ की संपूर्ण भूमि पर अधिकार नहीं जता सकता, जिसे केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय अभिलेखागार के लिए आवंटित किया है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि याचिका में उठाए गए ये ऐसे मामले हैं जिन्हें न्यायिक मानकों के आवेदन से हल नहीं किया जा सकता है और इन्हें उच्चतम न्यायालय के प्रशासनिक पक्ष के समक्ष ले जाना होगा।

इस पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल थे।

पीठ ने कहा कि वर्तमान और भविष्य, दोनों के लिए हितधारकों की जरूरतों में तालमेल बैठाते हुए उपलब्ध संसाधनों के आवंटन पर एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा।

शीर्ष अदालत ने कहा, “हमारी स्पष्ट राय है कि संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत दायर याचिका पर विचार करना उचित नहीं होगा, जिसमें यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वकीलों के कक्ष के निर्माण के लिए 1.33 एकड़ की संपूर्ण भूमि आवंटित की जानी चाहिए।”

पीठ ने कहा कि उच्चतम न्यायालय न्यायिक और प्रशासनिक, दोनों तरह के कार्यों का निर्वहन करता है। उसने कहा कि मौजूदा मामले में जो प्रशासनिक कामकाज और निर्णय लेना आवश्यक है, वह न्यायिक पक्ष पर नहीं किया जा सकता।

सर्वोच्च अदालत ने एससीबीए की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उसके इर्द-गिर्द मौजूद पूरे इलाके को उच्चतम न्यायालय ब्लॉक में तब्दील करने का अनुरोध किया गया था, ताकि भगवान दास मार्ग पर शीर्ष अदालत के आसपास स्थित सभी इमारतों का इस्तेमाल वकीलों के कक्ष के निर्माण के लिए किया जा सके।

न्यायालय ने यह भी कहा कि वर्तमान में विदेशी संवाददाता क्लब के कब्जे वाले सरकारी बंगले के आवंटन की मांग वाली एससीबीए की याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता है और न्यायिक पक्ष से इस तरह के निर्देश जारी नहीं किए जा सकते हैं।

पीठ ने कहा, “इसलिए, हम अनुच्छेद-32 के तहत याचिका में मांगी गई राहत को स्वीकार करने में असमर्थ हैं। हालांकि, हम सर्वोच्च न्यायालय के प्रशासनिक पक्ष के लिए संस्था की वर्तमान और भविष्य की जरूरतों तथा सभी हितधारकों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस मामले में उचित फैसले लेने का विकल्प खुला रखते हैं।”

शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में बार के साथ विचार-विमर्श भी शामिल होगा।

 










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