मनमानी से बाज नहीं आ रहे रेस्तरां हाई कोर्ट ने ठोका दो लाख रुपये का जुर्माना, जानिये आम आदमी से जुड़ा पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश का अनुपालन नहीं करने को लेकर दो रेस्तरां संगठनों पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

दिल्ली हाई कोर्ट
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नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आदेश का अनुपालन नहीं करने को लेकर दो रेस्तरां संगठनों पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने निर्देश दिया कि इस जुर्माने का भुगतान उपभोक्ता मामले विभाग को किया जाए।

अदालत ने 12 अप्रैल को ‘नेशनल रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ और ‘फेडरेशन ऑफ होटल्स एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ को याचिकाओं के समर्थन में अपने सदस्यों की संपूर्ण सूची पेश करने का निर्देश दिया था। अदालत ने इन दोनों संगठनों को यह भी बताने को कहा था कि उनके कितने प्रतिशत सदस्य अनिवार्य तौर पर सेवाशुल्क लगा रहे हैं और कितने प्रतिशत सदस्य इसे स्वैच्छिक योगदान बनाने को इच्छुक हैं।

याचिकाकर्ताओं से यह भी बताने को कहा गया था कि क्या उन्हें ‘सेवा शुल्क’ के स्थान पर ‘कर्मी कल्याण कोष’ शब्द के इस्तेमाल से आपत्ति है क्योंकि इससे (ऐसा करने से) उपभोक्ताओं के दिमाग में यह संशय नहीं होगा कि यह शुल्क कोई सरकारी अधिभार है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने 24 जुलाई को जारी आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं ने इन निर्देशों का ‘कतई पालन नहीं किया’ तथा उन्होंने केंद्र को सूचित किए बगैर अपना हलफनामा दाखिल किया ‘‘ताकि सुनवाई आगे नहीं बढ़े।’’

अदालत ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ताओं को विभिन्न अनुपालनों को मानना था। लेकिन किसी भी याचिकाकर्ता ने उक्त आदेश के हिसाब से हलफनामा नहीं दिया।’’

अदालत ने कहा, ‘‘उस हिसाब से, याचिकाकर्ताओं को चार दिन के अंदर उपयुक्त रूप से हलफनामा दाखिल करने का आखिरी मौका दिया जाता है तथा उन पर हर याचिका के सिलसिले में 1,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है जो डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से उपभोक्ता मामले विभाग के भुगतान एवं लेखा कार्यालय को भुगतान किया जाएगा।’’

इसने स्पष्ट किया कि बिना जुर्माना भुगतान के हलफनामों को रिकार्ड में नहीं लिया जाएगा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि ग्राहकों से करीब 4000 से अधिक शिकायतें मिली हैं कि याचिकाकर्ताओं और उनके सदस्यों द्वारा सेवाशुल्क वसूला जा रहा है।

दोनों याचिकाकर्ता संगठन उन दिशा-निर्देशों को चुनौती देते हुए पिछले साल उच्च न्यायालय पहुंचे थे जिनमें होटलों एवं रेस्तराओं पर सेवाशुल्क लेने से रोक लागई गई थी।

मामले में अगली सुनवाई पांच सितंबर को होगी।










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