तेज गति से पिघल रहे हिमालयी ग्लेशियर, नदियों के बहाव पर गंभीर खतरा, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

केंद्र सरकार ने कहा है कि हिमालयी क्षेत्र में जिन ग्लेशियर का अध्ययन किया गया है, उनमें से अधिकतर विभिन्न क्षेत्रों में अलग गति से पिघल रहे हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

हिमालयी ग्लेशियर अलग गति से पिघल रहे
हिमालयी ग्लेशियर अलग गति से पिघल रहे


नयी दिल्ली: केंद्र सरकार ने कहा है कि हिमालयी क्षेत्र में जिन ग्लेशियर का अध्ययन किया गया है, उनमें से अधिकतर विभिन्न क्षेत्रों में अलग गति से पिघल रहे हैं।

सरकार ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालयी ग्लेशियर के पिघलने का न सिर्फ हिमालयी नदी प्रणाली के बहाव पर गंभीर असर पड़ेगा, बल्कि इससे प्राकृतिक आपदाओं में भी इजाफा होगा।

सरकार ने देश में ग्लेशियर प्रबंधन पर चर्चा कर रही संसद की स्थायी समिति को यह जानकारी दी। यह समिति ग्लेशियर/झीलों की स्थिति पर नजर रखती है, जिनमें पानी का स्तर बढ़ने के कारण हिमालयी क्षेत्र में अचानक बाढ़ आ जाती है।

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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट  लोकसभा में पेश की गई।

रिपोर्ट में जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग ने हिमालय में ग्लेशियर के लगातार पिघलने, पीछे खिसकने और साल के दौरान ग्लेशियर के क्षेत्र में अनुमानित कमी की समस्या के बारे में बताते हुए कहा कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने नौ ग्लेशियर के द्रव्यमान संतुलन का अध्ययन किया है और 76 ग्लेशियर के सिकुड़ने या खिसकने की प्रक्रिया पर भी गौर फरमाया है।

इसमें कहा गया है, ‘‘हिमालय के अधिकांश ग्लेशियर विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग दर पर पिघलते या अपने स्थान से खिसकते दिखाई दिए हैं।’’

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विभाग ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के किसी भी प्रभाव के कारण ग्लेशियर पिघलने से न केवल हिमालयी नदी प्रणाली का प्रवाह गंभीर रूप से प्रभावित होगा, बल्कि यह ग्लेशियर झील के फटने की घटना (जीएलओएफ), ग्लेशियर हिमस्खलन, भूस्खलन आदि जैसी आपदाओं को भी जन्म देगा।










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