10 फीसदी आर्थिक आरक्षण पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, केंद्र सरकार को नोटिस भेज मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी मिलने वाले आरक्षण के कानून को रद्द करने की जनहीत याचिका पर तत्काल रोक लगाने से इंकार करते हुए केंद्र से जवाब मांगा है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़ें पूरी डिटेल..
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी मिलने वाले आरक्षण के कानून को रद्द करने की जनहीत याचिका पर तत्काल रोक लगाने से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्ते में जवाब मांगा है। इस याचिका पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने कहा कि इसपर हम विचार करेंगे। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और संजीव खन्ना की पीठ ने कोर्ट को संवैधानिक बदलावों को मिली चुनौती पर सुनवाई की। वहीं इस मामले पर मद्रास हाईकोर्ट में पहले से याचिका दाखिल की गई थी।
यह भी पढ़ें |
UP Panchayat Election: यूपी पंचायत चुनाव में आरक्षण का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, लखनऊ बेंच के फैसले को चुनौती
किसने इस कानून के खिलाफ याचिका दायर की?
सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी मिलने वाले आरक्षण के खिलाफ कारोबारी तहसीन पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा कि इस आरक्षण के मिलने से इंदिरा साहनी प्रकरण में उच्चतम न्यायालय के 1992 के फैसले का उल्लंघन होता है। इस फैसले में कहा गया था कि आरक्षण के लिए पिछड़ेपन को सिर्फ आर्थिक आधार नहीं माना जा सकता है।
इसी के साथ तहसीन पूनावाला ने याचिका में नए कानून पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी निर्धारित की गई थी लेकिन इस नए आरक्षण का प्रावधान इस सीमा के पार जा रहा है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण दिये जाने का कानून बनाया है।
यह भी पढ़ें |
सुप्रीम कोर्ट का फैसला, EWS आरक्षण जारी रहेगा