सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा को पुलिस को आठ लाख रुपये देने का दिया आदेश, जानिये क्या है मामला
उच्चतम न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में नजरबंद कार्यकर्ता गौतम नवलखा को उनकी पुलिस सुरक्षा पर आए खर्च के रूप में आठ लाख रुपये जमा करने का शुक्रवार को निर्देश दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में नजरबंद कार्यकर्ता गौतम नवलखा को उनकी पुलिस सुरक्षा पर आए खर्च के रूप में आठ लाख रुपये जमा करने का शुक्रवार को निर्देश दिया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नवंबर में नवलखा को बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण घर में नजरबंद रखने की अनुमति दी थी। शीर्ष अदालत ने शुरू में नवलखा को निर्देश दिया था कि वह याचिकाकर्ता को प्रभावी ढंग से नजरबंद रखने के लिए पुलिस सुरक्षा के वास्ते राज्य द्वारा वहन किए जाने वाले खर्च के रूप में 2.4 लाख रुपये जमा करें।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू ने बताया कि कुल 66 लाख रुपये का बिल लंबित है। इसके बाद न्यायमूर्ति के. एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने यह निर्देश दिया।
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उच्चतम न्यायालय ने राजू को नवलखा की याचिका पर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का भी निर्देश दिया, जिसमें उन्हें मुंबई में सार्वजनिक पुस्तकालय से शहर में ही किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है क्योंकि जिस पुस्तकालय में वह नजरबंद हैं, उसे खाली किया जाना है।
शीर्ष अदालत ने 10 नवंबर, 2022 को नवलखा को बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण घर में नजरबंद रखने की अनुमति दी थी। वह उस समय नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद थे।
दस नवंबर, 2022 के आदेश के बाद से शीर्ष अदालत ने उनकी नजरबंदी की अवधि को कई बार बढ़ाया है।
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यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुणे पुलिस के अनुसार, इन भाषणों की वजह से अगले दिन कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के आसपास के क्षेत्र में हिंसा हुई थी।