सुप्रीम कोर्ट ने मुलायम और अखिलेश यादव के खिलाफ जांच को लेकर ये याचिका की खारिज
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपों की प्रारंभिक जांच बंद करने की सीबीआई रिपोर्ट की प्रति मांगी गई थी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपों की प्रारंभिक जांच बंद करने की सीबीआई रिपोर्ट की प्रति मांगी गई थी।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 2019 में शीर्ष अदालत को बताया था कि चूंकि मुलायम और उनके दो बेटों- अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ संज्ञेय अपराध होने का “प्रथम दृष्टया कोई सबूत” नहीं मिला था, इसलिए प्रारंभिक जांच (पीई) को आपराधिक मामले/प्राथमिकी में नहीं बदला गया था। इस तरह, सात अगस्त, 2013 के बाद मामले में कोई जांच नहीं हुई थी।
भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा, “एक मार्च, 2007 और 13 दिसंबर, 2012 के फैसले के बाद से, सीबीआई ने सात अगस्त, 2013 को अपनी प्रारंभिक जांच बंद कर दी और आठ अक्टूबर 2013 को अपनी रिपोर्ट सीवीसी को सौंपी। यह याचिका छह साल बाद 2019 में दाखिल की गई है। आवेदन में कोई दम नहीं है और इसलिए इसे खारिज किया जाता है।”
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शीर्ष अदालत ने बताया कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का निधन हो चुका है और याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी से पूछा कि मामले में क्या बचा है।
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याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मुलायम के खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई है, लेकिन आरोप उनके बेटों-अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ भी हैं।
अखिलेश और प्रतीक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सीबीआई ने प्रारंभिक जांच करने के बाद ‘क्लोजर रिपोर्ट’ दायर की और कहा कि नियमित मामला दर्ज करने के लिए कोई औचित्य नहीं बनता है।
चतुर्वेदी के वकील ने तर्क दिया कि उन्होंने केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के समक्ष एक आरटीआई आवेदन दायर किया था और उन्हें सूचित किया गया था कि सीबीआई द्वारा ऐसी कोई क्लोजर रिपोर्ट दायर नहीं की गई थी।
न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने कहा कि क्लोजर रिपोर्ट 2013 में दायर की गई थी और याचिकाकर्ता ने 2019 में अपनी याचिका दायर की थी।
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न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने पूछा, “हमें बताएं कि इतने वर्षों के बाद हम इस आवेदन पर कैसे विचार कर सकते हैं।”
वकील ने कहा कि जब एक संज्ञेय अपराध प्रथम दृष्टया बनता है, तो शिकायतकर्ता को क्लोजर रिपोर्ट की प्रति प्रदान की जानी चाहिए।
पीठ ने जवाब दिया कि वह क्लोजर रिपोर्ट की प्रति के लिए आवेदन पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं है और इसे खारिज कर दिया।
समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का 82 साल की उम्र में पिछले साल 10 अक्टूबर को गुरुग्राम के एक अस्पताल में निधन हो गया था।