

ग्रहण के दौरान सावधानियां बरतना और ज्योतिषीय उपाय करना आवश्यक होता है, ताकि जीवन में किसी प्रकार का अशुभ प्रभाव न हो। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो तब होती है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है, जिससे सूर्य का एक हिस्सा या पूरा भाग आच्छादित हो जाता है। यह घटना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से काफी रोचक है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में इसे खास महत्व दिया जाता है। सूर्य ग्रहण के दौरान विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है, क्योंकि इसे शुभ और अशुभ दोनों ही दृष्टिकोण से देखा जाता है। 2025 में दो सूर्य ग्रहण होंगे, जो हिन्दू पंचांग के अनुसार कुछ खास तिथियों पर पड़ेंगे।
सूर्य ग्रहण 2025 की तिथियां
29 मार्च 2025 (आंशिक सूर्य ग्रहण): इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 को लगेगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जिसका मतलब है कि सूर्य का पूरा हिस्सा नहीं ढका जाएगा। ग्रहण दोपहर 2:20 बजे शुरू होगा और शाम 6:13 बजे खत्म होगा।
21 सितंबर 2025 (अंशिक सूर्य ग्रहण): 21 सितंबर 2025 को एक अंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो कुछ देशों में ही दिखाई देगा। यह रात 10:59 बजे शुरू होगा। इस दिन आश्विन अमावस्या होगी। यह आंशिक सूर्यग्रहण भी होगा। यह 22 सितंबर को सुबह 3:23 बजे समाप्त होगा। इस ग्रहण का प्रभाव सामान्यतः कम होता है, लेकिन फिर भी इसे ज्योतिष शास्त्र में महत्वपूर्ण माना जाता है। अंशिक ग्रहण के दौरान शरीर और मानसिक शांति बनाए रखने की आवश्यकता होती है, ताकि इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
सूर्य ग्रहण के दौरान सावधानियां
ग्रहण के समय भोजन न करें: सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन करना वर्जित होता है। ज्योतिष के अनुसार, ग्रहण के दौरान भोजन करने से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
ग्रहण के समय सूर्य को न देखें: सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य को नंगी आँखों से देखना बेहद हानिकारक होता है। इससे आंखों की रोशनी पर विपरीत असर पड़ सकता है।
पूजा और मंत्र जाप करें: ग्रहण के दौरान घर में पूजा करना चाहिए और विशेष रूप से मंत्रों का जाप करना लाभकारी माना जाता है। सूर्य देव की पूजा करने से ग्रहण का अशुभ प्रभाव कम हो सकता है।
ग्रहण के बाद स्नान करें: ग्रहण के बाद विशेष रूप से स्नान करना चाहिए और शुद्ध वस्त्र पहनने चाहिए, ताकि शरीर को शुद्ध किया जा सके।
ज्योतिषीय उपाय
सूर्य देव की पूजा: सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य देव की पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। सूर्य मंत्र "ॐ सूर्याय नमः" का जाप करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।
दान करें: सूर्य ग्रहण के दिन विशेष रूप से दान करना अच्छा माना जाता है। खासकर तांबे, गुड़, गेहूं और लाल वस्त्रों का दान करना सूर्य देव को प्रसन्न करता है और ग्रहण के प्रभाव से बचाव करता है।
सूर्य से संबंधित चीजों का उपयोग करें: सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य से संबंधित वस्तुओं का उपयोग करना जैसे ताम्बे के बर्तन, लाल रंग की चीजें आदि, शुभ माने जाते हैं। इससे ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव कम होता है।
क्या होता है सूर्य ग्रहण?
सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। इस खगोलीय घटना में चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आकर सूर्य की किरणों को अवरुद्ध कर देता है। इससे चंद्रमा की छाया पृथ्वी के कुछ हिस्सों पर पड़ती है और वहां अस्थायी अंधेरा छा जाता है। हालांकि चंद्रमा की छाया पूरी पृथ्वी को ढकने के लिए पर्याप्त बड़ी नहीं होती, इसलिए ग्रहण का प्रभाव केवल कुछ क्षेत्रों में ही दिखाई देता है। सूर्य ग्रहण की यह घटना वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यंत रोचक होती है और इसे विशेष ध्यान से देखा जाता है।