Side Effects of Lockdown: लॉकडाउन की इस खतरनाक तस्वीर से कैसे निपटेगी सरकार?

मनोज टिबड़ेवाल आकाश

लॉकडाउन से कोरोना जैसी महामारी को तो काबू में किया जा रहा है लेकिन इसके दूसरे पहलू पर भी गौर करना बेहद जरुरी है। मीडिया रिपोर्ट्स बता रही हैं कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बाद चिंता, हताशा, सुरक्षित भविष्य की आशंका, अवसाद और घर पहुंचने की चाहत लोगों की जान पर भारी पड़ने लगी है। एक के बाद एक लोग खुदकुशी कर रहे हैं और इस चक्की में सबसे ज्यादा पीस रहे हैं गरीब।

गेंहू के खेत में बैठा परेशान किसान (फाइल फोटो)
गेंहू के खेत में बैठा परेशान किसान (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: एक राष्ट्रीय अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक 14 अप्रैल तक कोरोना महामारी के चलते देश में 377 लोगों की मौत हो चुकी है। यह सच है कि सरकार लॉकडाउन नहीं करती तो महामारी और ज्यादा पांव पसार सकती थी और मौत का आंकड़ा और भी भयावह हो सकता था लेकिन राष्ट्रव्पापी लॉकडाउन की तस्वीर का दूसरा पहलू भी कम खतरनाक नहीं है। इस पर हमारी सरकारों को और अधिक गंभीरता से कदम उठाने होंगे ताकि लॉकडाउन के साइड इफेक्ट्स को कम कर लोगों को मौत के आगोश में जाने से बचाया जा सके।

हैदराबाद के उप्पल इलाके में 24 साल का एक मजदूर लॉकडाउन के चलते बिहार में अपने घर नहीं जा पा रहा था, परेशान होकर उसने खुदकुशी कर ली। बीते सोमवार को बिहार के दरभंगा जिले के बहादुरपुर प्रखंड के कमरौली गांव के एक विद्यालय में बनाये गये पृथकवास केंद्र में रखे गए एक व्यक्ति ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। मृतक विनोद यादव टीबी का मरीज था और 10 अप्रैल को अपने घर पहुंचने के बाद से इसे पृथकवास केंद्र में रखा गया था। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में सादाबाद कस्बे के एक बुजुर्ग कौशल किशोर की लॉकडाउन बढ़ने की खबर के सदमे से मौत हो गयी।

दिल्ली में एक सरकारी डाक्टर की कार खराब थी, लॉकडाउन के चलते मैकेनिक से ठीक नहीं करा पा रहे थे लिहाजा कोरोना मरीजों की सेवा में समर्पित डॉक्टर बेटे की साइकिल से घर से सरकारी अस्पताल आ-जा रहे थे। एक दिन दोपहर 3 बजे ड्यूटी खत्म होने के बाद घर लौटते वक्त अरविंदो रोड स्थित पीटीसी चौक पर पीछे से किसी ने टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौत हो गयी। अकेले केरल में तालाबंदी के पहले 100 घंटों के दौरान सात आत्महत्या के मामले सामने आए थे।

फांसी का फंदा (प्रतीकात्मक फोटो)

यूपी के बांदा जिले में गेंहू की कटाई के लिए मजदूर न मिलने से परेशान होकर किसान रामभवन शुक्ला ने पेड़ से लटककर अपनी इहलीला समाप्त कर ली।

पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली। वजह काफी हैरान करने वाली थी, इस व्यक्ति की पत्नी लॉकडाउन के कारण अपने माता-पिता के घर पर रुकी हुई थी। उसके आने की बाट जोहते-जोहते इसने खुदकुशी कर ली।

लॉकडाउन खत्म होने के बाद होने वाले व्यावसायिक नुकसान, रोजगार का संकट लोगों के मानसिक अवसाद को बढ़ा रहा है। घरेलू हिंसा के मामलों में भी बढ़ोत्तरी की खबर है। जरुरत इस बात कि है कि सरकार इन लोगों के आत्मविश्वास को बनाये रखे ताकि चिंता, हताशा और तनाव में कम से कम लोग अपनी जान तो न दें।

(लेखक मनोज टिबड़ेवाल आकाश नई दिल्ली में बतौर वरिष्ठ पत्रकार कार्यरत हैं और वर्तमान में डाइनामाइट न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ हैं। इन्होंने दूरदर्शन समाचार, नई दिल्ली में एक दशक तक टेलीविजन न्यूज़ एंकर और वरिष्ठ राजनीतिक संवाददाता के रूप में कार्य किया है। इन्होंने लंबे समय तक डीडी न्यूज़ पर प्रसारित होने वाले लोकप्रिय इंटरव्यू बेस्ड टॉक शो ‘एक मुलाक़ात’ को बतौर एंकर होस्ट किया है। इन्हें प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करने का दो दशक का अनुभव है)










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