Shardiya Navratri: नवरात्रि के चौथे दिन करें देवी कूष्मांडा की पूजा, जीवन में इन दिक्कतों से मिलेगी मुक्ति, जानें विधि-विधान

डीएन ब्यूरो

नवरात्रि के चौथे दिन देवी के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा होती है। देवी कूष्मांडा आदिशक्ति का वह स्वरूप है जिनकी मंद मुस्कान से इस सृष्टि ने सांस लेना आरंभ किया, यानी इस सृष्टि का आरंभ किया।डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िये मां कूष्मांडा के बारे में

मां कूष्मांडा
मां कूष्मांडा


नई दिल्ली: नवरात्रि के चौथे दिन देवी के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा होती है। देवी कूष्मांडा आदिशक्ति का वह स्वरूप है, जिनकी मंद मुस्कान से इस सृष्टि ने सांस लेना आरंभ किया, यानी इस सृष्टि का आरंभ किया। मां कूष्मांडा की पूजा से जीवन में कई तरह के लाभ मिलते हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िये देवी मां कूष्मांडा के बारे में

निवास स्थान और अर्थ

देवी कूष्मांडा का निवास स्थान सूर्यमंडल के बीच में माना जाता है। "कुष्मांडा " नाम संस्कृत के शब्द "कू" से लिया गया है जिसका अर्थ है "थोड़ा सा", "उष्मा" का अर्थ है "गर्मी", और "अंडा" का अर्थ है "ब्रह्मांडीय अंडा"।

ब्रह्मांड का निर्माण

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि मां कुष्मांडा ने एक छोटे ब्रह्मांडीय अंडे का उत्पादन करके ब्रह्मांड का निर्माण किया, जिससे ब्रह्मांड प्रकट हुआ।

रोगों का होता है नाश  

नवरात्रि के चौथे दिन पवित्र मन से देवी कुष्मांडा की पूजा-आराधना करनी चाहिए। इनकी पूजा से भक्तों के रोगों का नाश होता है और आयु, यश, बल व आरोग्य की प्राप्ति होती है। देवी कुष्मांडा सच्चे मन से की गयी सेवा और भक्ति से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। देवी कूष्मांडा भय दूर करती हैं। 

समृद्धि और तेज की प्राप्ति

जीवन में सभी तरह के भय से मुक्त होकर सुख से जीवन बीताने के लिए ही देवी कुष्मांडा की पूजा की जाती है। कूष्मांडा देवी की पूजा से समृद्धि और तेज प्राप्त होता है। इनकी पूजा से जीवन में भी अंधकार नहीं रहता है।

मां कूष्‍मांडा की पूजा विधि:
 नवरात्रि के चौथे दिन सुबह-सवेरे उठकर स्‍नान कर हरे रंग के वस्‍त्र धारण करें। मां की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं।अब देवी को हरी इलायची, सौंफ और कुम्‍हड़े का भोग लगाएं।इस दिन माता को मालपुआ का प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इससे बुद्धि का विकास होता है। ‘ऊं कूष्‍मांडा देव्‍यै नम:' मंत्र का 108 बार जाप करें।आरती उतारें और क‍िसी ब्राह्मण को भोजन कराएं।

कूष्‍मांडा मंत्र 
1  या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
2  कुष्मांडा: ऐं ह्री देव्यै नम:

3  सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

 


मां कुष्मांडा का मंदिर

मां कुष्मांडा मंदिर उत्तर प्रदेश के सागर-कानपुर के बीच घाटमपुर में स्थित है है। ऐसा कहा जाता है कि साल 1988 से इस मंदिर में अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित हो रही है। मां कुष्मांडा देवी के वर्तमान मंदिर का निर्माण 1890 में चंदीदीन भुर्जी ने कराया था।










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