सुप्रीम कोर्ट का ‘सुप्रीम’ फैसला, सिंधु जल समझौते से जुड़ी याचिका की खारिज..

सुप्रीम कोर्ट ने भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को अवैध और असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) सोमवार को खारिज कर दी।

Updated : 10 April 2017, 2:08 PM IST
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नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान सिंधू जल संधि मामले से जुड़ी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संधि 1960 की है और आधी सदी से ये सही चल रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं देगा। दरअसल याचिकाकर्ता ML शर्मा ने मांग की थी कि यह संधि अंसवैधानिक है और इसे रद्द किया जाए। यह संधि नहीं बल्कि दो देशों के नेताओं के बीच निजी समझौता था। याचिका में कहा गया था कि इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने हस्ताक्षर किए थे जबकि संवैधानिक होने के लिए इस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने चाहिए।

करीब एक दशक तक विश्व बैंक की मध्यस्थता में बातचीत के बाद 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल समझौता हुआ था। इस संधि पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू-पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल अयूब खान ने हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत सिंधु घाटी की 6 नदियों का जल बंटवारा हुआ था। सिंधु बेसिन की नदियों को दो हिस्सों में बांटा गया था, पूर्वी और पश्चिमी। भारत इन नदियों के उद्गम के ज्यादा क़रीब है और यह नदियां भारत से पाकिस्तान की ओर जाती हैं।

पूर्वी पाकिस्तान की 3 नदियों का नियंत्रण भारत के पास है। इनमें व्यास, रावी और सतलज आती हैं वहीं पश्चिम पाकिस्तान की 3 नदियों का नियंत्रण पाकिस्तान के पास है। इनमें सिंधु, चिनाब और झेलम आती हैं। पश्चिमी नदियों पर भारत का सीमित अधिकार है। भारत अपनी 6 नदियों का 80% पानी पाकिस्तान को देता है और भारत के हिस्से क़रीब 20% पानी आता है।

Published : 
  • 10 April 2017, 2:08 PM IST

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