पढ़िये सफेद गैंडों के संरक्षण की सफलता की ये शानदार कहानी, आधी आबादी निजी मालिकों के हाथों में
दक्षिणी सफेद गैंडों को व्यापक रूप से संरक्षण की सफलता की कहानी के रूप में जाना जाता है। 1920 के दशक में उनकी आबादी 100 से भी कम थी, जो 2012 में बढ़कर 20,000 हो गई। इनमें से ज्यादातर गेंडे दक्षिण अफ्रीका में हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
स्टेलनबोश: दक्षिणी सफेद गैंडों को व्यापक रूप से संरक्षण की सफलता की कहानी के रूप में जाना जाता है। 1920 के दशक में उनकी आबादी 100 से भी कम थी, जो 2012 में बढ़कर 20,000 हो गई। इनमें से ज्यादातर गेंडे दक्षिण अफ्रीका में हैं।
इस सफलता का श्रेय संरक्षण के प्रयासों में आंशिक रूप से निजी क्षेत्र को शामिल किए जाने के फैसले को जाता है, जिसकी शुरुआत 1960 के दशक में हुई थी, जब सफेद गैंडों को लुहलुवे-इंफोलॉजी पार्क में उनके आखिरी निवास स्थल से निकाला गया था और अन्य सरकारी अभयारण्यों के साथ-साथ निजी भूमि पर भी रखा गया था।
वर्ष 1991 में ‘गेम थेफ्ट एक्ट’ में गैंडों के निजी स्वामित्व और इस्तेमाल से जुड़ी शर्तों को औपचारिक रूप दिया गया। उस समय अवैध शिकार के मामले बेहद कम थे और पर्यावरणीय पर्यटकों (इको टूरिस्ट) तथा ट्रॉफी हंटर (खेल गतिविधि के रूप में जंगली जीवों का शिकार करने और उनके अंगों को घर में ट्रॉफी के रूप में सजाने वाले शिकारी) के बीच गैंडों की बढ़ती मांग ने निजी भूस्वामियों को अपने यहां गैंडों की आबादी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया।
सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, हमारे हालिया अध्ययनों से पता चलता है कि आज निजी भूस्वामी दक्षिण अफ्रीका के सफेद गैंड़ों की आधी से अधिक आबादी का संरक्षण करते हैं।
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जिम्बाब्वे और नामीबिया के सफेद गैंडों की 75 प्रतिशत से अधिक आबादी का संरक्षण निजी जमीन पर किया जाता है।
दक्षिण अफ्रीका में एक दशक पहले 20 लाख हेक्टेयर में फैले क्रुगर राष्ट्रीय उद्यान में दुनिया के 20,000 सफेद गैंड़ों की आधी से अधिक आबादी रहती थी। क्रुगर में अकेले 2020 में अवैध शिकार के कारण सफदे गैंडों की आबादी छह प्रतिशत तक कम हो गई। लुहलुवे-इंफोलॉजी पार्क में भी इन जीवों की आबादी में इतनी ही गिरावट दर्ज की गई है।
इस बीच, 2020 में दक्षिण अफ्रीका में निजी भूमि पर अवैध शिकार के कारण महज 0.5 फीसदी सफेद गैंडों की मौत हुई। ऐसा संभवत: इसलिए हुआ कि छोटी निजी संपत्तियों की देखभाल करना अधिक आसान होता है और निजी मालिकों ने 2017 में एक सफेद गैंडे पर 2,200 डॉलर खर्च किए, जबकि दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय उद्यानों ने 520 डॉलर खर्च किए।
हालांकि, सुरक्षा पर भारी-भरकम खर्च ने भले ही अवैध शिकार के जोखिम को घटा दिया है, लेकिन इसने गैंडों के स्वामित्व से होने वाले लाभ को भी कम कर दिया है। गैंडों के मालिकों के लिए इन जीवों को अवैध शिकार से बचाने की बढ़ती लागत को वहन करना मुश्किल होता जा रहा है।
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इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि वन्यजीव आबादी मिट्टी में कार्बन के स्तर को बढ़ा सकती है। ऐसे में सरकार गैंडा मालिकों को प्रोत्साहन राशि देने के साथ ही कर में छूट के जरिये गैंडा संरक्षकों की भूमिका का समर्थन कर सकती है।
दक्षिण अफ्रीका जैवविविधता कर प्रोत्साहन प्रणाली लागू करने के मामले में अग्रणी है। हालांकि, यह प्रणाली केवल उन भूस्वामियों के लिए उपलब्ध है, जो औपचारिक रूप से अपनी जमीन को संरक्षित क्षेत्र घोषित करते हैं।
गैंडों के संरक्षण के लिए वक्त निकलता जा रहा है। उन्हें बचाने में मदद करने के लिए अधिक समावेशी, न्यायसंगत और नवोन्मेषी समाधानों की आवश्यकता है।