लगातार बढ़ती महंगाई के बीच आरबीआई एमपीसी सदस्य का बड़ा बयान, जानिए क्या कहा

डीएन ब्यूरो

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने रविवार को कहा कि इस साल मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने रविवार को कहा कि इस साल मुद्रास्फीति में कमी आने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि एक लचीली मुद्रास्फीति लक्षित व्यवस्था के साथ-साथ आपूर्ति-पक्ष की कार्रवाई ने दूसरे देशों की तुलना में कीमतों में वृद्धि की दर को कम रखा है।

गोयल ने कहा कि भारत ने पिछले तीन वर्षों में काफी लचीलापन दिखाते हुए चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है। उन्होंने कहा, ''मुद्रास्फीति दर के साल भर में नीचे आने की उम्मीद है।''

उन्होंने पीटीआई-भाषा से टेलीफोन पर साक्षात्कार में कहा, ''महंगाई को लक्ष्य करने वाली लचीली व्यवस्था के साथ सरकार की आपूर्ति पक्ष की कार्रवाई ने दूसरे देशों की तुलना में भारत में मुद्रास्फीति की दर को कम रखा है।'' उनसे पूछा गया था कि क्या उच्च मुद्रास्फीति भारत में एक सामान्य स्थिति बन गई है।

उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान नीतिगत दरों में भारी कटौती की गई थी, इसलिए पुनरुद्धार के बाद उन्हें तेजी से बढ़ाना पड़ा।

गोयल ने आगे जोड़ा, ''लेकिन बाहरी मांग में कमी के कारण वर्तमान में नीतिगत दरों में बहुत अधिक वृद्धि नहीं होनी चाहिए। घरेलू मांग को क्षतिपूर्ति की अनुमति दी जानी चाहिए।''

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले साल मई से अपनी प्रधान रेपो दर में 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। जनवरी में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 6.52 प्रतिशत थी।

इस सवाल पर कि गर्म मौसम का गेहूं की फसल और खाद्य मुद्रास्फीति पर क्या असर हो सकता है, उन्होंने कहा कि मौसम का रुख अनिश्चित हो गया है, इसलिए कृषि में लचीलापन लाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में काम किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक चुनौतियों के कारण जोखिम बने हुए हैं।










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