राजस्थान के CM गहलोत ने दिया बड़ा बयान, मेरे कारण वसुंधरा को सजा नहीं मिलनी चाहिए

डीएन ब्यूरो

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में वसुंधरा राजे की कथित उपेक्षा को लेकर बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को उनके कारण सजा नहीं मिलनी चाहिए। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

वसुंधरा राजे को दरकिनार करने पर बोले अशोक गहलोत सजा नहीं मिलनी चाहिए
वसुंधरा राजे को दरकिनार करने पर बोले अशोक गहलोत सजा नहीं मिलनी चाहिए


नयी दिल्ली: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में वसुंधरा राजे की कथित उपेक्षा को लेकर बृहस्पतिवार को कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को उनके कारण सजा नहीं मिलनी चाहिए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार यहां कांग्रेस मुख्यालय में उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि अगर वसुंधरा को उनकी वजह से सजा मिलती है तो यह भाजपा की नेता के साथ अन्याय होगा।

गहलोत से सवाल किया गया कि भाजपा में वसुंधरा की उपेक्षा पर उनका क्या कहना है तो उन्होंने कहा, ‘‘यह उनकी पार्टी का आंतरिक मामला है। मैं यह कहना चाहूंगा कि मेरे कारण उनको सजा नहीं मिलनी चाहिए। यह उनके साथ अन्याय होगा।’’

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने 1990 के दशक की राजनीतिक घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत उपचार के लिए अमेरिका गए थे और उस वक्त भाजपा के लोग ही उनकी सरकार गिराना चाहते थे, लेकिन प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर उन्होंने इसका विरोध किया था।

उनके अनुसार, कभी भाजपा के दिग्गज नेता रहे कैलाश मेघवाल को यह बात पता थी और 2020 में जब उनकी सरकार पर संकट आया तो उन्होंने कह दिया कि सरकार गिराने की परंपरा राजस्थान में नहीं रही है।

गहलोत ने कहा कि वसुंधरा के समर्थक विधायकों ने बताया था कि पूर्व मुख्यमंत्री की भावना भी मेघवाल जैसी ही है।

उनका कहना था, ‘‘मैं गलती से बोल गया कि मेघवाल और वसुंधरा जी की राय एक थी।’’

गहलोत ने इस साल मई में राजस्थान के धौलपुर में एक कार्यक्रम में दावा किया था कि वह 2020 में कांग्रेस के कुछ विधायकों की बगावत से बच गए क्योंकि भाजपा नेता वसुंधरा राजे व कैलाश मेघवाल ने धन बल के माध्यम से एक चुनी हुई सरकार को गिराने के षडयंत्र का समर्थन करने से इनकार कर दिया था।

इसके जवाब में राजे ने नागौर में कहा था, ‘‘2003 से लेकर अब तक अशोक गहलोत को कभी बहुमत नहीं मिला। इसलिए वे मुझे अपना सबसे बड़ा शत्रु और उनकी राह में कांटा मानते हैं। इसलिए उनकी तारीफ में मेरे लिए सद्भावना नहीं, दुर्भावना है; जैसे मुंह में राम, बगल में छुरी।’’










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