मन की बात में बोले पीएम मोदी- खेल हमें समाज और पर्यावरण के बारे में भी जागरूक बनाते हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाशवाणी पर 44वीं बार मन की बात में देश के पारंपरिक खेलों का जिक्र करते हुए चिंता जताई कि हमारे ये खेल खोने नहीं चाहिये। इसके अलावा पीएम मोदी ने पर्यावरण को लेकर चिंता भी जतायी। पढ़ें क्या कहा पीएम मोदी ने..
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 44वें संस्करण में कई सामाजिक विषयों पर बात की। पीएम मोदी ने कहा कि हमारे देश के पारंपरिक कई खेल हमें समाज, पर्यावरण आदि के बारे में भी जागरूक बनाते हैं। कभी-कभी चिंता होती है कि कहीं हमारे ये खेल खो न जाएं। उन्होंने कहा कि खेलों के खो जाने से बचपन ही खो जाएगा और फिर हम कुछ कविताओं को सुनते रह जायेंगे।
मन की बात की प्रमुख बातें
हमें प्रकृति के साथ सद्भाव से रहना है, प्रकृति के साथ जुड़ करके रहना है। महात्मा गाँधी ने जीवन भर इस बात की वकालत की थी, आज भारत क्लाइमेट जस्टिस की बात करता है और भारत ने Cop21 और Paris समझौते में प्रमुख भूमिका निभाई।
पिछले कुछ हफ़्तों में देश के अलग-अलग क्षेत्रों में धूल भरी आँधी चली, तेज़ हवाओं के साथ-साथ भारी वर्षा भी हुई, यह चीज़ें मूलतः मौसम के मिजाज में जो बदलाव आया है, उसी का परिणाम है।
यह भी पढ़ें |
Mann Ki Baat: पीएम मोदी ने अमेरिका जाने से पहले देशवासियों से की मन की बात, जानिये संबोधन की खास बातें
जब भयंकर गर्मी होती है या बाढ़ होती है, बारिश थमती नहीं है, असहनीय ठंड पड़ जाती है तो हर कोई ग्लोबल वार्मिंग, क्लाइमेट चेंज की बातें करता है लेकिन बातें करने से बात नहीं बनती है। प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना और उसकी रक्षा करना हमारा स्वभाव होना चाहिए।
प्लास्टिक पॉल्यूशन का प्रबाव हमारी प्रकृति, वाइल्ड लाइफ और स्वास्थ्य पर पड़ रहे। हम सभी को मिलकर इसके negative impact को कम करने का प्रयास करना होगा।
आने वाली 5 जून को हमारा देश आधिकारिक तौर पर विश्व पार्यवरण दिवस की मेजबानी करेगा। यह भारत के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है और इसका परिचायक भी है कि जलवायु परिवर्तन को कम करने की दिशा में विश्व में भारत के बढ़ते नेतृत्व को भी स्वीकृति मिल रही है।
खेलों को खेलने की कोई उम्र तो है ही नहीं। बच्चों से ले करके दादा-दादी, नाना-नानी जब सब खेलते हैं तो यह जो generation गैप होता है, वो भी छू-मंतर हो जाता है। साथ-ही-साथ हम अपनी संस्कृति और परम्पराओं को भी जानते हैं।
यह भी पढ़ें |
मन की बातः PM मोदी की 5 महत्वपूर्ण बातें जो आयेंगी युवाओं के काम
खेल सिर्फ खेल ही नहीं होते हैं, वह जीवन के मूल्यों को भी सिखाते हैं- जैसे लक्ष्य तय करना, दृढ़ता हासिल करना, team spirit का पैदा होना, परस्पर सहयोग की भावना को कैसे विकसित करना है।
परंपरागत खेलों में दोनों तरह के खेल हैं, इसमें आउटडोर और इनडोर भी हैं। हमारे देश की विविधता के पीछे छिपी एकता इन खेलों में भी देखी जा सकती है।