President Ayodhya Visit: राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने किये रामलला के दर्शन, देखा मंदिर निर्माण का कार्य, रोपा रुद्राक्ष का पौधा, जानिये क्या बोले महामहिम

राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द आज अपनी उत्तर प्रदेश की चार दिवसीय यात्रा के अंतिम दन रामनगरी अयोध्या पहुंचे, जहां उन्होंने रामायण कान्क्लेव का शुभारंभ करने के साथ ही रामलला के दर्शन किये और मंदिर निर्माण का कार्य भी देखा। पूरी रिपोर्ट

Updated : 29 August 2021, 4:27 PM IST
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लखनऊ: राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की उत्तर प्रदेश के चार दिवसीय दौरे के अंतिम दिन आज लखनऊ से प्रेसीडेंशियल ट्रेन में सवार होकर रामनगरी अयोध्या पहुंचे। इस दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ ने रामनगरी में उनकी अगवानी की। रामनगरी आगमन पर आठ मंचों द्वारा राष्ट्रपति का भव्य स्वागत किया गया। यह पहली बार है, जब किसी राष्ट्रपति ने अयोध्या पहुंचकर रामलला के दर्शन किए। इससे पहले वर्ष 1983 में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह भी अयोध्या आए थे। 

पौराणिक रामनगरी अयोध्या में आज राष्ट्रपति ने रामायण कान्क्लेव का शुभारंभ किया और हनुमागढ़ी में दर्शन व पूजन किया। हनुमागढ़ी में दर्शन पूजन के बाद राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द श्रीराम जन्मभूमि परिसर पहुंचे। वहां उन्होंने रामलला के दर्शन किए। वैदिक मंत्रों के बीच उन्होंने पत्नी सविता कोविन्द के साथ रामलला की आरती उतारी। इस दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सीएम योगी आदित्यनाथ व दोनों डिप्टी सीएम भी मौजूद रहे। रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने पूजा-अर्चना करवाई।

अयोध्या पहुंचे राष्ट्रपति ने राम मंदिर का निर्माण कार्य भी देखा और रामलला से चंद कदमों के फासले पर दक्षिण दिशा में राष्ट्रपति के हाथों रुद्राक्ष का पौधा रोपित किया जाएगा।  एक वर्ष पूर्व पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन कार्यक्रम में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामजन्म भूमि परिसर में पारिजात का पौधा रोपित किया था। राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि अयोध्या प्रभु राम की जन्म और लीला भूमि तो है ही बिना राम के इस नगरी की कल्पना करना भी असंभव है।

 

इस मौके पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि अयोध्या मानव सेवा का उत्कृष्ट केंद्र बने। शिक्षा और शोध का भी वैश्विक केंद्र बनाया जाए। उन्होंने कहा कि विश्व समुदाय और युवा पीढ़ी को रामकथा में निहित जीवन मूल्यों से जोड़ना चाहिए। रामायण में राम निवास करते हैं। वाल्मीकि जी ने कहा था जब तक पृथ्वी पर नदी और पर्वत रहेंगे रामकथा लोकप्रिय रहेगी। रामकथा के अनेक पठनीय रूप देश और विदेश में प्रचलित है। इस दौरान उन्होंने पर्यटन विभाग की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिल्यान्यास भी किया।

अयोध्या में रामायण कान्क्लेव के शुभारंभ के बाद राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि रामायण एक ऐसा विलक्षण ग्रंथ है जो राम कथा के माध्यम से विश्व समुदाय के समक्ष मानव जीवन के उच्च आदर्शों और मर्यादा को प्रस्तुत करता है। मुझे विश्वास है कि रामायण के प्रचार-प्रसार के लिए यूपी सरकार का यह प्रयास पूरी मानवता के हित में बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि रामायण में राम-भक्त शबरी का प्रसंग सामाजिक समरसता का अनुपम संदेश देता है। महान तपस्वी मतंग मुनि की शिष्या शबरी और प्रभु राम का मिलन, एक भेद-भाव-मुक्त समाज व प्रेम की दिव्यता का अद्भुत उदाहरण है। मैं तो समझता हूं कि मेरे परिवार में जब मेरे माता-पिता और बुजुर्गों ने मेरा नाम-करण किया होगा तब उन सब में भी संभवतः रामकथा और प्रभु राम के प्रति वही श्रद्धा और अनुराग का भाव रहा होगा जो सामान्य लोकमानस में देखा जाता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि रामकथा की लोकप्रियता भारत में ही नहीं बल्कि विश्वव्यापी है। उत्तर भारत में गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित-मानस, भारत के पूर्वी हिस्से में कृत्तिवास रामायण, दक्षिण में कंबन रामायण जैसे रामकथा के अनेक पठनीय रूप प्रचलित हैं। विश्व के अनेक देशों में रामकथा की प्रस्तुति की जाती है। इन्डोनेशिया के बाली द्वीप की रामलीला विशेष रूप से प्रसिद्ध है। मालदीव, मारिशस, त्रिनिदाद व टोबेगो, नेपाल, कंबोडिया और सूरीनाम सहित अनेक देशों में प्रवासी भारतीयों ने रामकथा व रामलीला को जीवंत बनाए रखा है। रामकथा का साहित्यिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव मानवता के बहुत बड़े भाग में देखा जाता है। भारत ही नहीं विश्व की अनेक लोक-भाषाओं और लोक-संस्कृतियों में रामायण और राम के प्रति सम्मान और प्रेम झलकता है। 

Published : 
  • 29 August 2021, 4:27 PM IST