प्रतापगढ़ः ऐसा गांव, जहां आजादी के 70 साल बाद भी नहीं पहुंची बिजली

डीएन ब्यूरो

सरकार भले ही चाहे विकास के लाख दावे करे लेकिन आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी कई ऐसे गांव हैं, जहां बिजली की सुविधा से ग्रामीण वंचित है, जहां किसी के पास भी मोबाइल नहीं है। डाइनामाइट न्यूज़ की स्पेशल रिपोर्ट..

फाइल फोटो
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प्रतापगढ़ः मोदी सरकार जहां जगमग योजना, उज्ज्वला योजना आदि के जरिए शहरों के माफिक गांवों को भी हाइटैक बनाकर यहां बिजली-पानी, अस्पताल और मार्डन स्कूलों का सपना दिखा रही है। वहीं उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले का एक गांव ऐसा है जो आजादी के 70 सालों के बाद भी बिजली की सुविधा से वंचित है।

 

 

प्रतापगढ़ मुख्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर नगर कोतवाली के गांव कदीपुर में अभी तक प्रदेश सरकार बिजली नहीं पहुंचा पाई है। इस गांव की दलित बस्ती हाकिम पुरवा में बिजली नहीं होने से न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई- लिखाई प्रभावित हो रही है बल्कि रात को घर से बाहर निकलने में महिलाओं को खतरा महसूस होता है। हालांकि ऐसा नहीं है बिजली की मांग को लेकर यहां के ग्रामीणों ने आवाज नहीं उठाई हो।

ग्रामीणों का कहना हैं कि उन्होंने इसे लेकर नेताओं और जिला प्रशासन से भी गुहार लगाई थी इसके बावजूद स्थिति जस की तस है। यहां स्कूल जाने वाले बच्चों का कहना है कि उन्हें रात को लालटेन से पढ़ाई करनी पढ़ती है। जिससे उनकी आंखों पर काफी जोर पड़ता है। वहीं कीड़े- मकोड़ों और अन्य कीट भी अंधेंरे में उन्हें काटते है। इस गांव में हजारों की संख्या में ग्रामीण रहते है।

सबसे हैरान व चौंकाने वाली बात यह है कि यहां किसी भी घर में लोगों के पास मोबाइल तक नहीं है। संचार की व्यवस्था से महरूम ग्रामीणों को यह पता नहीं चल पाता है कि देश-प्रदेश में क्या हो रहा है।

आस-पास के गांवों के लोग यहां बिजली नहीं होने की वजह से यहां अपनी लड़कियों का रिश्ता भी करवाने से तौबा करते है। उनका कहना है कि जहां बिजली- पानी की सुविधा नहीं है वहां कैसे वह अपनी बेटियों का रिश्ता करेंगे। इससे न सिर्फ ग्रामीणों के बच्चों की चिंता है बल्कि शाम होते ही चोरी का भी डर इन्हें सताता रहता है, जो गांव के लिए किसी महामारी से कम नहीं है।
 










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