Pollution: बिहार में रोलिंग मिलों से होने वाले कार्बन के उत्सर्जन पर लगेगी लगाम, जानिये प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की पूरी योजना

बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) ने ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) को सीमित करने के प्रयास में ‘रोलिंग मिलों’ से कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए एक रोडमैप तैयार करने का निर्णय लिया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 4 July 2023, 7:09 PM IST
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पटना: बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) ने ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) को सीमित करने के प्रयास में 'रोलिंग मिलों' से कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए एक रोडमैप तैयार करने का निर्णय लिया है।

बीएसपीसीबी के अध्यक्ष देवेंद्र कुमार शुक्ला ने मंगलवार को डाइनामाइट न्यूज़ को बताया, “बोर्ड प्रदूषकों, विशेष रूप से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन का निर्धारण करने के लिए एक अध्ययन कर रहा है जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और जल वाष्प शामिल हैं।'

उन्होंने कहा, ' बोर्ड ने ईंट भट्टों को स्वच्छ तकनीक में बदलने की योजना शुरू की है, जो कम कार्बन उत्सर्जित करती है। अब, हम राज्य में कार्बन उत्सर्जित करने वाली 'रोलिंग मिलों' के लिए एक रोडमैप को अंतिम रूप दे रहे हैं। उन्हें कम कार्बन उत्सर्जित करने वाली स्वच्छ तकनीक अपनाने के लिए भी कहा जाएगा।’’

शुक्ला ने कहा, “बिहार में 42 रोलिंग मिलें हैं, जिनमें से 28 चालू हैं। उत्सर्जन को कम करने के प्रयासों के बावजूद उद्योग से जीएचजी उत्सर्जन में वृद्धि जारी है क्योंकि इस्पात उद्योग कार्बन डाइऑक्साइड के प्रमुख उत्सर्जकों में से एक है। बुनियादी ढाँचे के विकास के कारण उद्योग का उत्सर्जन स्वाभाविक रूप से बढ़ने का अनुमान है। इसलिए, विभिन्न रणनीतियों का प्रस्ताव करके क्षेत्र में नियंत्रित विकास करना महत्वपूर्ण है।’’

उन्होंने कहा कि बीएसपीसीबी ने पहले ही आईआईटी-कानपुर के साथ मिलकर राज्य के सभी 534 प्रखंडों में कार्बन उत्सर्जन स्रोतों सहित प्रदूषकों के स्रोत की पहचान करने के लिए कम लागत वाले सेंसर स्थापित करने के लिए सहयोग किया है।

उन्होंने कहा, “रोलिंग मिलों से उत्सर्जन काफी अधिक है। उनमें से कुछ के पास हॉट चार्जिंग की अद्यतन तकनीकें हैं लेकिन कुछ अभी भी साइट पर कोयला जलाकर चल रहे हैं। निर्माण क्षेत्र का उद्योग होने के अलावा, यह क्षेत्र बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक स्थिर बाजार भी प्रदान करता है और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार पैदा करता है।’’

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